Last Updated: Saturday, March 1, 2014, 20:54
नई दिल्ली : भारत में घरेलू नौकरों को कम मेहनताना दिए जाने के पीछे उनके प्रति गैर-बराबरी की प्रवृति को मूल वजह बताते हुए आर्थिक विशेषज्ञ जयती घोष ने कहा कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की घरेलू कामगार संधि को अपनाने की जरूरत है ताकि उन्हें बेहतर और सुरक्षित काम की गारंटी दी जा सके।
घोष ने ‘अदृश्य कामगार : घरेलू नौकरों के अधिकार, न्याय और गरिमा’ विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कहा, भारत में गैर-बराबरी की प्रवृति के कारण घरेलू नौकरों को कमतर मेहनताना दिया जाता है। घरेलू कार्य राष्ट्रीय आय में जितना योगदान करता है उसके बगैर कोई भी समाज नहीं चल सकता। उन्होंने अपील की कि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) घरेलू कामगार संधि को अपनाये जिसके तहत घरेलू नौकरों को शालीन और सुरक्षित काम के बुनियादी अधिकार की गारंटी होती है।
जयति ने कहा कि आईएलओ सम्मेलन की पुष्टि से घरेलू कामगारों के जीवन में आमूलचूल बदलाव आएगा और इससे उन्हें वही अधिकार मिलेंगे जो दूसरे कामगारों को उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू नौकरों के काम के घंटे तर्कसंगत होने चाहिये। सप्ताह में पूरे 24 घंटे का अवकाश, गैर-नकद भुगतान की सीमा और रोजगार की स्पष्ट शतेर्ं तथा समान अधिकार मिलना चाहिए। उन्हें कार्यस्थल पर मूल अधिकार और सिद्वांतों के लिये पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्हें संगठित होने और सामूहिक मोलभाव का अधिकार भी होना चाहिये।
जयति ने कहा, सम्मेलन की शर्तों को लागू करने के लिए निचले स्तर से आवाज उठनी चाहिए। सभी कामगारों को यह बदलाव लाने के लिए इकट्ठा काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में घरेलू नौकरों के भारी योगदान के बावजूद यह तबका आम तौर पर अदृश्य और कमतर आंका जात है। इससे भारत में समाज के पुनरत्पादन को कम करके आंके जाने की प्रवृति की झलक मिलती है। घोष ने कहा कि घरेलू कामकाज देश में करोड़ों महिलाओं की आजीविका का जरिया बनता जा रहा है फिर भी भारत में महिलाओं के श्रम बल की भागीदारी विश्व में सबसे कम है।
भारत में महिलाओं के घरेलू कार्यबल में 75 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और साथ ही प्रवासी घरेलू कामगारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और ये विशेष तौर पर असुरक्षित हैं। संयुक्त राष्ट्र की स्थानीय संयोजन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की प्रतिनिधि लीजा ग्रांड ने कहा, घरेलू कामगार समेत सभी कामगारों को काम करने की अनुकूल परिस्थितियां हासिल करने का अधिकार है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 1, 2014, 20:54