Last Updated: Sunday, January 12, 2014, 18:29
नई दिल्ली : कानूनी रूप से कमजोर एवं निरर्थक मामलों से में उलझने से बचने को लेकर चौकस प्रवर्तन निदेशालय ने फैसला किया है वह कंपनियों के खिलाफ मनी लांडरिंग के आरोपों में नए एफआईआर तभी दायर करेगा जब कि उसे यह भरोसा होगा कि मामले में ‘कुछ बड़ी रकम’ पकड़ी जा सकती है।
निदेशालय ने यह कदम इसलिए उठाया है कि ताकि मनी लांडरिंग मामलों की गुणवत्ता से समझौता न करना पड़े। प्रवर्तन निदेशालय पर वित्तीय अपराधों और आतंकवादियों के लिए धन जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों की जांच का जिम्मा है। जांच एजेंसी ने मनी लांडरिंग रोधी कानून (पीएमएलए), 2012 में पिछले साल 15 फरवरी को किए गए संशोधनों का हवाला देते हुए इस संबंध में निर्णय किया है।
संशोधन में यह उल्लेख किया गया है कि प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज करने के लिए कोई न्यूनतम मौद्रिक मानक नहीं होगा। ईसीआईआर एक पुलिस एफआईआर के समान है। इससे पहले, पीएमएलए नियमों के तहत प्रवर्तन निदेशालय केवल उन्हीं मामलों की जांच कर सकता था जो न्यूनतम 30 लाख रुपये के थे।
प्रवर्तन निदेशालय के मुख्यालय ने पिछले साल एक सकरुलर जारी कर अपने सभी जोनल कार्यालयों को ईसीआईआर दर्ज करने से पहले नए मानक अपनाने के निर्देश दिए थे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 12, 2014, 18:29