‘घर बैठे पा सकते हैं सीए कोचिंग क्लास की सुविधा’

‘घर बैठे पा सकते हैं सीए कोचिंग क्लास की सुविधा’

‘घर बैठे पा सकते हैं सीए कोचिंग क्लास की सुविधा’ नई दिल्ली : चार्टड एकाउंटेंसी (सीए) की तैयारी के लिए बड़े नगरों और महानगरों में जाने में असमर्थ छात्र छात्राएं अब घर बैठ वहां के कोचिंग क्लास की आनलाइन सुविधा हासिल कर सकते हैं।

इस तरह की सुविधा शुरू करने वाली दिल्ली की एक इकाई प्रोफेसरों के कक्षा व्याख्यान को सुलभ कराने के साथ-साथ उन्हें संबंधित अध्ययन सामाग्री भौतिक रूप से उपलब्ध कराएगी। अभ्यर्थियों के लिए सस्ती पढ़ाई की सुविधा सुनिश्चित करने के इरादे से शुरू की गई आरष नेटवर्क ने सीए छात्रों के लिए आनलाइन कोचिंग प्लेटफार्म के रूप में वेबसाइट ‘सुपरप्रोफ्स डाट काम’ शुरू की है। इसके जरिए छात्र घर बैठे ‘सीए कोचिंग क्लास’ में शरीक हो सकते हैं।

आंकड़ों के अनुसार सीए के लिए कॉमन प्रोफिशेन्सी टेस्ट (सीपीटी) में करीब 1.4 लाख छात्र शरीक होते हैं जिनमें आईपीसीसी (इंटरमीडिएट इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कंपीटेंश कोर्स) के लिए सफल होने वाले छात्रों का प्रतिशत लगभग 27 है।

आरष नेटवर्क के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पीयूष अग्रवाल ने कहा, ‘अब छोटे शहरों के सीए छात्रों को पढ़ाई के लिए महानगरों में आने की जरूरत नहीं होगी। वे घर बैठे उस क्लास में भाग ले सकते हैं जो दिल्ली या मुंबई के चर्चित प्रोफेसर लेते हैं। साथ ही उनके लिए अध्ययन सामग्री भी भौतिक रूप से सुलभ होगी।’

लागत के बारे में पूछे जाने पर आईआईटी कानपुर में पढ़े पीयूष अग्रवाल ने कहा, ‘दिल्ली में रहने, खाने-पीने समेत अन्य खर्चे के अलावा सीए छात्रों को सभी आठ विषयों की कोचिंग पर साल में 40,000 से 50,000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। आनलाइन माध्यम से उनका खर्चा 20 से 25 हजार रुपए पड़ेगा।’’ इतना ही नहीं अगर छात्र चाहें तो वह अपनी जरूरत के हिसाब से एक विषय की भी पढ़ाई कर सकेंगे।

एक सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा, ‘इस प्रकार की यह पहली आनलाइन शिक्षा वेबसाइट है जो प्रमुख प्रोफेसरों के क्लास को ‘लाइव’ प्रसारित करेगी। साथ ही छात्र ‘क्लास’ से संबद्ध अपने संदेह या प्रश्नों का उत्तर भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए अलग से सत्र की व्यवस्था की गई है।’ इस इकाई ने अपने प्रयास में अभी तक 30 प्रोफेसरों को जोड़ा है और आने वाले समय में इसमें और वृद्धि की जा सकती है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अभी कोई प्रोफेसर एक समय में 400 से 500 छात्रों को पढ़ा पाते हैं, लेकिन वेबसाइट के जरिए कक्षा के सीधे प्रसारित होने से उनकी पहुंच हजारों छात्रों तक हो सकेगी। वे भी चाहते हैं कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों तक उनकी पहुंच हो।’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 4, 2014, 15:18

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