Last Updated: Friday, October 4, 2013, 20:38

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सहारा और शेयर बाजार विनियामक सेबी से निवेशकों को देय 19 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था करने का उपाय निकालने को आज कहा। इससे पहले सुब्रत राय के नेतृत्व वाला सहारा समूह ने कहा कि वह प्रतिभूति के तौर पर अपनी अचल संपत्ति गिरवी रखने के लिये तैयार है पर सेबी ने इन संपत्तियों की कीमत और बिक्री पट्टे को लेकर कई सवाल उठाये हैं।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने बाजार नियामक ओर सहारा समूह से कहा कि वे एक साथ बैठकर रास्ता खोजें।
न्यायालय इस मामले में अब 28 अक्तूबर को आगे विचार करेगा। न्यायाधीशों ने लंदन में समूह द्वारा 256 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदे जाने की मीडिया खबरों का जिक्र करते हुये कहा कि यदि यह खबर सही है तो समूह निवेशकों का धन सेबी को देने में सक्षम है। न्यायालय ने जानना चाहा कि क्या वह इस राशि की बैंक गारंटी दे सकता है।
राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम ने कहा कि समूह प्रतिभूति के रूप में अपनी अचल संपत्ति दे सकता है लेकिन सेबी के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि कंपनी को अपनी संपत्ति बेचकर नियामक को यह रकम देनी चाहिए।
इसके बाद न्यायालय ने दोनों पक्षों को परस्पर सहमति से स्वीकार्य रास्ता खोजने के लिये वक्त दे दिया। न्यायालय राय के साथ ही सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि. और सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेंट कार्प और उनके निदेशकों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये सेबी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
न्यायालय ने पिछले साल 31 अगस्त को सहारा समूह को निर्देश दिया था कि वह अपने निवेशकों को 24 हजार करोड रूपए नवंबर के अंत तक वापस करें। न्यायालय ने यह समय सीमा बढाते हुये कंपनियों को निर्देश दिया था कि 5120 करोड़ रुपए तत्काल जमा कराये जायें और दस हजार करोड़ रुपए जनवरी के प्रथम सप्ताह तथा शेष राशि फरवरी में जमा करायी जाये।
सेबी ने न्यायालय को सूचित किया था कि सहारा समूह ने 5120 करोड़ रुपए का बैंक ड्राफ्ट पांच दिसंबर को सौंप दिया था लेकिन शेष रकम का भुगतान करने में विफल रहा था। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 4, 2013, 20:38