Last Updated: Sunday, April 6, 2014, 15:45
नई दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा गैस मूल्य के मुद्दे पर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली के खिलाफ एफआईआर दाखिल करने का फैसला संघीय ढांचे के सिद्धांत के खिलाफ है। सोलिसिटर जनरल मोहन परासरन ने यह बात कही है, लेकिन उन्होंने इस मामले में उपराज्यपाल की तरफ से किसी तरह की कार्रवाई के प्रति आगाह किया है।
परासरन ने इस मुद्दे पर सरकार को दी गई अपनी राय में कहा है कि कि दिल्ली की पूर्व अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा इस मामले में की गई कारवाई देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। केन्द्र सरकार ने इस विवाद को समाप्त करने की दिशा में सोलिसिटर जनरल से उनकी राय मांगी थी।
सोलिसिटर जनरल ने हालांकि सरकार को सावधान करते हुये कहा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल को इस एफआईआर के अस्तित्व में नहीं होने की कारवाई नहीं करनी चाहिये। एफआईआर पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ दायर करने का आदेश दिया गया था। परासरन ने कहा है, कि बजाय इसके केन्द्र सरकार को उच्चतम न्यायालय में एक मामला दायर करना चाहिये या फिर प्रभावित पक्षों को इसके समाधान के लिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिये।
सोलिसीटर जनरल ने कहा कि किसी राज्य सरकार को केन्द्र, उसके कार्यकारियों और केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का अधिकार नहीं है। परासरन ने कहा कि तत्कालीन दिल्ली सरकार का केन्द्र के नीतिगत निर्णय पर एफआईआर दर्ज करने का फैसला स्वस्थ परंपरा नहीं है और इससे संघीय ढांचे को खतरा पैदा होता है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस साल फरवरी में राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को पेट्रोलियम मंत्री मोइली, पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ केजी बेसिन की प्राकृतिक गैस के दाम तय करने के मामले में आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 6, 2014, 15:45