Last Updated: Sunday, May 11, 2014, 20:45
नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करोड़ों रुपये के सारदा चिट फंड घोटाले में पहला आरोपपत्र संभवत: इस साल जुलाई तक दाखिल करेगा। एजेंसी की ताजा जांच में कुछ शीर्ष राजनेताओं व घोटाले में शामिल समूह के अधिकारियों के बीच 700 से 800 करोड़ रुपये के लेनदेन के ‘दस्तावेज’ मिले हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले कुछ सप्ताह के दौरान पश्चिम बंगाल, असम व ओड़िशा के कई सांसदों का बयान दर्ज किया है। एजेंसी का अनुमान है कि यह घोटाला और निवेशकों को हुए नुकसान का आंकड़ा 2,500 करोड़ रुपये तक हो सकता है।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय इस साल जुलाई तक सारदा घोटाले में पहला आरोपपत्र दायर करेगा। आरोपपत्र अब तक हुई जांच तथा घोटाले में शामिल कुछ राजनेताओं व सांसदों के बयान के आधार पर आधारित होगा। इसे सक्षम अदालत में दाखिल किया जाएगा। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कथित सारदा वित्तीय अनियमितता व धोखाधड़ी में मनी लांड्रिंग रोधक कानून के प्रावधानों के तहत मामला दायर किया। जांच एजेंसी को 700-800 करोड़ रुपये के संदिग्ध धन के लेनदेन का प्रमाण भी मिला है। सूत्रों ने कहा कि ये प्रमाण ईडी के पहले आरोपपत्र का हिस्सा होंगे। विभिन्न बैंकों व वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई के मिली सूचनाओं के आधार पर संदिग्ध धन के लेनदेन का पता चला है।
उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्देश के बाद इस घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा की जाएगी। मुख्य रूप से यह घोटाला पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व असम में केंद्रित है। कुछ निवेशकों की शिकायत के बाद पिछले साल यह घोटाला सामने आया था। पश्चिम बंगाल पुलिस व ईडी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सारदा समूह की चार कंपनियां तीन योजनाओं मियादी जमा, आवर्ती जमा तथा मासिक आय जमा योजनाओं के जरिये निवेशकों से धन जुटाती थीं। इससे निवेशकों को जमीन या विदेश यात्रा का वादा किया जाता था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सारदा समूह की चार कंपनियों ने 2008 से 2012 के दौरान इन योजनाओं के जरिये 2,459.59 करोड़ रुपये की राशि जुटाई। इसमें कहा गया है कि 16 अप्रैल, 2013 तक निवेशकों को 476.57 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। निवेशकों को 1,983.02 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान किया जाना था
(एजेंसी)
First Published: Sunday, May 11, 2014, 20:45