वैश्विक वृद्धि दर 2% से ऊंची रहेगी, जी-20 ने भारत की बात मानी

वैश्विक वृद्धि दर 2% से ऊंची रहेगी, जी-20 ने भारत की बात मानी

सिडनी : विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मंच जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों पांच साल में सामूहिक आर्थिक वृद्धि दर में 2 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के लिये काम करने का रविवार को संकल्प किया।

इसके साथ ही समूह कर संबंधी सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान एवं आईएमएफ में सुधार पर काम करने के लिए भी राजी हुआ है। भारत इन दोनों मुद्दों को लंबे समय से उठाता रहा है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैठक के नतीजों पर संतोष जताया है।

जी-20 की यहां दो दिन की बैठक के बाद जारी वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘हम अगले पांच साल में ऐसी महत्वाकांक्षी और वास्तविक नीतियां अपनाएंगे ताकि हमरे सामूहिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर हमारी मौजूदा नीतियों से होने वाली वृद्धि के मुकाबले 2 प्रतिशत ऊंची हो सके।’’

जी-20 का अनुमान है कि वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर में 2 प्रतिशत की वृद्धि से वास्तविक रूप से 2,000 अरब डॉलर का इजाफा होगा और रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वक्तव्य में अमेरिका में मौद्रिक प्रोत्साहन को वापस लिए जाने को लेकर भारत जैसे उदीयमान देशों की चिंता को भी शामिल किया गया है और सदस्य देशों के केंद्रीय बैंकों से कहा गया है कि वे अपनी मौद्रिक नीतियों में बदलाव सावधानी से करें और उसको सही ढंग से सूचित करें।

बयान में कहा गया है कि ‘‘हम के जी.20 के सदस्यों के बीच कर संबंधी मामलों के सूचनाओं के स्वचालिक आदान.प्रदान की व्यवस्था 2015 के अंत तक शुरू हो जाने की उम्मीद करते हैं।’’ सदस्य देशों ने साझा लेखा मानक अपनाने पर भी सहमति जताई है।

वक्तव्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर अपवंचन की समस्या से निपटने के बारे में कहा गया है, ‘‘हम मजबूत कर सिद्धांत के आधार पर बीईपीएस का सामना करने के लिए वैश्विक उपाय करने को प्रतिबद्ध हैं। जहां लाभ कमाया जा रहा हो, कर वहीं लगना चाहिए।’’

बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने लाभ को कर की कम दर वाले देशों व क्षेत्रों में अंतरित करने का मुद्दा विश्वभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। माना जाता है कि ऐसी बहुत सी कंपनियां कहीं भी अपने लाभ पर कर की उचित अदायगी नहीं कर रही हैं। इस चीज को तकनीकी भाषा में ‘‘कराधार का क्षरण व लाभ का स्थानांतरण’’ (बीईपीएस) कहा जाता है।

वक्तव्य से संतुष्ट चिदंबरम ने कहा कि जी-20 के आधिकारिक वक्तव्य में भारत की चिंताओं को जगह दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘आधिकारिक बयान को संबंधित देशों के अधिकारियों ने मिल बैठकर तैयार किया और मुझे लगता है कि हमारी चिंताओं को इसमें शामिल किया गया है।’’ विकसित और विकासशील देशों वाले इस समूह ने कहा कि मुद्राकोष की कोटा प्रणाणी में सुधारों को अभी अमेरिका से मंजूरी नहीं मिली है और इस मामले में वहां चल रहा गतिरोध ‘बेहद अफसोस’ है।

मुद्राकोष में सुधार से इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन में भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वोट का अधिकार बढेगा। अमेरिकी संसद ने मुद्राकोष में देश का अंशदान बढ़ाने के प्रस्ताव को अभी स्वीकार नहीं किया है।

वर्ष 2010 में कोटा तथा संचालन व्यवस्था में सुधार पर सहमति हो गयी थी पर वह अब तक लागू नहीं किया जा सका है। जी20 ने कहा है ‘‘कोटा की 15वीं सामान्य समीक्षा 2014 तक पूरी नहीं हुई। इसको लेकर हमें बेहद अफसोस है।’’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 23, 2014, 22:15

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