Last Updated: Friday, February 21, 2014, 23:59
सिडनी : भारत सहित जी-20 देशों के वित्त मंत्री और केन्द्रीय बैंकों के गवर्नर शनिवार से यहां शुरू हो रही दो दिवसीय बैठक में भाग लेंगे जिसमें दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि, कराधान क्षेत्र में सुधार और ढांचागत परियोजनाओं के लिए धन की व्यवस्था करने का मुद्दा प्रमुख होगा।
जी20 में शामिल भारत जैसे विकासशील देश इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जैसे बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में बहुप्रतीक्षित कोटा सुधार को आगे बढ़ाने पर जोर देंगे। कोटा सुधार से वैश्विक मामलों में विकासशील देशों की बात को तवज्जो मिलेगी।
जी20 देशों की इस बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा होगी और दुनियाभर में ढांचागत परियोजनाओं पर अमल के लिए वित्तीय साधन उपलब्ध कराए जाने पर भी चर्चा होगी और इसके संभावित उपायों पर गौर किया जाएगा। एक वक्तव्य के अनुसार वित्त मंत्री पी. चिदंबरम बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष आ रही प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करेंगे और आईएमएफ में कोटा सुधारों के साथ-साथ निवेश और ढांचागत क्षेत्र से जुड़ी अड़चनों पर बहस छेड़ेंगे। वित्तीय नियमन और कर सुधारों के मामले भी उनके भाषण का हिस्सा होंगे।
आज दिन में इससे पहले अमेरिका के वित्त मंत्री जैक ल्यू ने कहा कि दुनियाभर में तीव्र और संतुलित विकास एवं वृद्धि के लिए और प्रगति की आवश्यकता है। मेजबान आस्ट्रेलिया के वित्त मंत्री जॉय हॉकी ने कहा कि अगले दिनों में ढांचागत क्षेत्र चर्चा का महत्वपूर्ण बिंदु होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे कई देशों में हमारे पास धन की कमी है। सरकार की तरफ से मैं कहूंगा.. विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं और विशेषतौर पर जरूरी और उत्पादक परियोजनाओं के लिए हमें निजी क्षेत्र के निवेश की आवश्यकता है। यह निवेश आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए जरूरी है।’
मैंकेजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक दुनियाभर में ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये 57,000 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। ल्यू ने कहा कि कर सुधार जी20 के सराहनीय प्रयासों में से एक है। उन्होंने कहा, ‘कर संबंधी सूचनाओं का स्वत: ही आदान प्रदान आज दुनियाभर में नया मानक बन गया है और मेरा मानना है कि जी20 को इसे अपना पूरा समर्थन देना चाहिए और सभी देशों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।’
भारत आईएमएफ में विकासशील देशों को अपनी आवाज मजबूती से रखने में सक्षम बनाने के वास्ते इस बहुपक्षीय संस्था में विकासशील देशों को कोटा बढ़ाने पर जोर देता रहा है। जी20 के वित्त मंत्रियों और केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने आज इस बैठक में भाग लिया। उन्होंने बाद में संवाददाताओं को बताया कि आईएमएफ में कोटा सुधारों को आगे बढ़ा पाना जी20 देशों की पहली स्पष्ट असफलता दिख रही है। जी20 में विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश शामिल हैं।
मायाराम ने कहा ‘जी20 देशों के बीच सहमति होने के बावजूद आईएमएफ में कोटा सुधार पूरा नहीं हुआ और हम इसकी जनवरी 2014 की समयसीमा के भीतर इसे पूरा नहीं कर पाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, February 21, 2014, 22:16