मोदी से कभी नहीं मिला कोई विशेष फायदा : अदाणी

मोदी से कभी नहीं मिला कोई विशेष फायदा : अदाणी

नई दिल्ली : देश में जारी भीषण चुनावी समर में धन की राजनीति के आरोप-प्रत्यारोप के लिए अदाणी समूह के नाम की डफली पीटी जा रही। ऐसे माहौल में अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी ने आज कहा कि उन्हें गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार से कोई विशेष लाभ नहीं मिला है। उन्होंने यह भी कि उनके समूह ने 1993 से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सिर्फ बंजर भूमि का ही अधिग्रहण किया है।

बंदरगाह से लेकर ऊर्जा तक क्षेत्र में कार्यरत 8.7 अरब डालर के अदाणी समूह के प्रमुख ने कहा कि उनके समूह ने गुजरात में तटीय कस्बे मुंदड़ा में 1993 में जमीन का अधिग्रहण शुरू किया। कुल 15,946 एकड़ लैंडबैंक में सिर्फ एक तिहाई का अधिग्रहण मोदी के मुख्यमंत्री काल में हुआ। अदाणी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘किसी भी किसान से एक एकड़ जमीन भी नहीं ली गई है। हम उस समय कच्छ गए, जब कोई उसकी ओर देखना नहीं चाहता था। हमने सिर्फ बंजर और रेगिस्तानी भूमि का अधिग्रहण किया, जो कृषि लायक नहीं थी।’

अदाणी ने उस जमीन पर देश का सबसे बड़ा बंदरगाह बनाया है। इस बंदरगाह के जरिए 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 10 करोड़ टन माल की ढुलाई की गयी। साथ ही उन्होंने वहां देश का निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा कोयला आधारित बिजली घर बनाया। अदाणी ने स्पष्ट कहा कि उनके समूह ने सस्ती जमीन की खरीद फरोख्त के जरिए मुनाफा कमाने के लिए जमीन नहीं ली है।

गौतम अदाणी ने कहा, ‘जब हमने 1993 में मुंदड़ा में जमीन का अधिग्रहण शुरू किया तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने हमें 10 पैसे प्रति वर्ग मीटर की दर पर जमीन दी। भाजपा की अगुवाई वाली केशुभाई पटेल सरकार ने 1995 में एक रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन दी थी। वहीं शंकर सिंह वाघेला के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने 1996-07 में डेढ़ रिपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन दी थी। मोदी के कार्यकाल में हमें 5,000 एकड़ जमीन 15 रिपये वर्ग मीटर के औसत मूल्य पर दी गई।’

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी पर हमला करते हुए अदाणी का नाम लिया है। हाल में एक रैली में राहुल गांधी ने दावा किया कि अदाणी को एक रिपये प्रति वर्ग मीटर के भाव यानी टॉफी की कीमत पर जमीन दी गई। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी अदाणी व रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी जैसे उद्योगपतियों की मोदी के साथ सांठगाठ का आरोप लगाया है। 51 वर्षीय अदाणी ने कहा कि वह कीचड़ उछालने वाली राजनीति में शामिल नहीं होना चाहते, लेकिन तथ्य उससे अलग हैं जैसा कि दिखाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में पहली बार में 2006 में संप्रग सरकार की विशेष आर्थिक क्षेत्र :सेज: नीति के तहत सेज लगाने के लिए जमीन दी गई। ‘हमें 10,000 एकड़ जमीन की जरूरत थी, लेकिन 5,000 एकड़ जमीन दी गई। अब लोग 20 साल पहले बंजर, गैर कृषि योग्य जमीन के लिए दी गई कीमत की तुलना उस जमीन की बाजार दर से कर रहे हैं जिसका विकास सड़क, बिजली जैसी सुविधाओं के साथ किया गया है।’

अदाणी ने कहा कि मोदी अपनी नीतियों से उद्योग जगत की मदद कर रहे हैं। ‘मोदी सरकार ने किसी की मदद के लिए नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। अदाणी को कोई विशेष लाभ नहीं दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि अदाणी समूह ने राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओड़िशा तथा हरियाणा जैसी राज्य सरकारों के साथ भी अपनी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण का काम किया है। स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर अदाणी 16 साल की उम्र में भाग्य आजमाने मुंबई चले गए। शुरुआत में वह हीरे के कारोबार से जुड़े। उसके बाद उन्होंने अपने गृह राज्य में वापस आकर प्लास्टिक का छोटा कारखाना शुरू किया, जिसके मालिक उनके भाई थे। 1988 में उन्होंने अपना आयात एवं निर्यात कारोबार अदाणी इंटरप्राइजेज के बैनर तले शुरू किया।

अदाणी ने अपने समूह के कारोबार को 2020 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इस अवधि में मुंदड़ा बंदरगाह की क्षमता दोगुना कर 20 करोड़ टन सालाना करने की योजना है। इसी तरह बिजली उत्पादन क्षमता को मौजूदा के 8,620 मेगावाट से बढ़ाकर 20,000 मेगावाट किया जाएगा। इसके अलावा समूह 20 करोड़ टन कोयले का खनन करेगा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 27, 2014, 19:40

comments powered by Disqus