मूल वेतन में अन्य भत्तों को जोड़ने का प्रस्ताव खारिज

मूल वेतन में अन्य भत्तों को जोड़ने का प्रस्ताव खारिज

नई दिल्ली : ट्रेड यूनियनें भविष्य निधि कटौती के लिये मूल वेतन के साथ भत्तों को जोड़े जाने के प्रस्ताव को खारिज करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ चुनाव आयोग के पास जांएगे। श्रम मंत्रालय ने हाल में एक पत्र लिखकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से मूल वेतन के साथ भत्तों को जोड़ने के प्रस्ताव पर कदम नहीं बढ़ाने को कहा है। ईपीएफओ जल्दी ही इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा।

आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के डी एल सचदेव ने कहा, हम निश्चित रूप से कर्मचारी विरोधी कदम का विरोध करेंगे। हम जल्दी ही इस बारे में चुनाव आयोग के साथ-साथ श्रम मंत्रालय को लिखेंगे। ईपीएफओ ट्रस्टी की भी भूमिका निभा रहे सचदेव ने कहा, सरकार ऐसा नहीं कर सकती है क्योंकि आचार संहिता लागू है। वेतन को अलग-अलग भत्तों में बांटना लंबे समय से समस्या रही है। नियोक्ता भविष्य निधि देनदारी कम करने के लिये वेतन को भत्तों में बांट देते हैं।

इसी प्रकार का विचार प्रकट करते हुए भारतीय मजदूर संघ के महासचिव वृजेश उपाध्याय ने कहा, यह कर्मचारी विरोधी कदम है और हम इसका विरोध करेंगे। हम इस बारे में सोमवार को चुनाव आयोग और श्रम मंत्रालय को पत्र लिखेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार इस कदम से ईपीएफओ की योजनाओं के अंतर्गत आने वाले संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की बचत में वृद्धि होती। इससे कर्मचारियों के हाथ में थोड़ा कम वेतन आता लेकिन उनकी बचत बढ़ जाती। दूसरी तरफ नियोक्ता इसके खिलाफ हैं क्योंकि इससे उनपर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।

कर्मचारियों के हित में कदम उठाते हुए ईपीएफओ ने 30 नवंबर 2012 परिपत्र जारी कर भविष्य निधि कटौती के मकसद से मूल वेतन को फिर से परिभाषित किया था। इसमें कहा गया था, वे सभी भत्ते जो आवश्यक एवं समान रूप से कर्मचारियों को भुगतान किये जाते हैं, उन्हें मूल वेतन माना जाए। हालांकि, अधिसूचना को स्थगित करते हुए ईपीएफओ ने मामले पर विचार के लिये एक समिति गठित की और आगे के कदम के लिये श्रम मंत्रालय को सिफारिश की। समिति ने ईपीएफओ की ईपीएफ योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ बढ़ाने के विचार का समर्थन किया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 6, 2014, 16:07

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