खुद को सरकारी प्रभाव से दूर करें सार्वजनिक बैंक: राजन

खुद को सरकारी प्रभाव से दूर करें सार्वजनिक बैंक: राजन

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को काम काज की अधिक आजादी का समर्थन करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने आज कहा कि ये बैंक खुद को सरकारी प्रभावी से दूर रह कर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।

राजन यहां भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में स्थापना दिवस व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा, अगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिक प्रतिस्पर्धी बनते हैं और विशेषकर अगर वे ऐसा अपने सार्वजनिक चरित्र का बलिदान किए बिना सरकार के प्रभाव से खुद को दूर कर करते हैं तो वे बाजार से और अधिक आसानी से धन जुटा सकेंगे। उन्होंने कहा, वास्तव में, जो बेहतर प्रदर्शन करेगा वही अधिक धन जुटाने में सफल रहेगा जबकि मौजूदा हालात में ऐसे बैंक को सरकारी खजाने से ज्यादा पैसा मिलता है जो अपेक्षाकृत कमतर प्रदर्शन करने वाला होता है। प्रतिस्पर्धा से दक्षता सुधरेगी।

राजन ने कहा कि दुनिया भर में आज भी सरकारी क्षेत्र में ऐसे तमाम बैंक है जो बड़ी कुशलता से चलाए जा रहे हैं और भारत में भी ऐसा है। उन्होंने कहा, इसलिए सार्वजनिक बैंकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढाने के लिए निजीकरण जरूरी नहीं है। लेकिन भारत में अधिकांश सार्वजनिक बैकों के परिचालन में सुधार के लिए संचालन तथा प्रबंध के के तौर तरीकों में बदलाव व परिचालनगत तथा पारितोषिक आदि के निर्णय की आजादी बहुत जरूरी है। उन्होंने इस संदर्भ में हाल में प्रस्तुत पी जी नायक समिति की सिफारिशों का ज्रिक किया और कहा कि उसमें इन्हीं बातों को दोहराया गया है।

राजन ने सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए सुझाए गए विभिन्न व्यावहारिक सुझावों का जिक्र किया। इनमें इन बैंकों के शेयरों की धारक कंपनी बनाना, इनके सीईओ के कार्यकाल को बढाना, चेयमैन और मुख्यकार्यपालक अधिकारी का पद अलग अलग व्यक्तियों को देना तथा बोर्ड में ज्यादा संख्या में पेशेवरों को जगह देने जैसे सुझाव है। उन्होंने कहा हमें इन सब सुझावों पर सावधानी से विचार करना होगा, इनमें से अनेक सार्वजनिक बैंकों को नये माहौल में प्रतिस्पर्धा का लचीलापन देंगे।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, May 20, 2014, 23:33

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