Last Updated: Tuesday, November 12, 2013, 19:48
नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) कानून, 2013 का अक्षरश: तथा उसकी पूर्ण भावना के साथ क्रियान्वयन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। वित्त मंत्रालय से संबद्ध परामर्शक समिति की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा, संसद द्वारा पीएफआरडीए विधेयक को पारित करने के बाद अब उसका अक्षरश: तथा पूर्ण भावना के साथ क्रियान्वयन बड़ा काम है। पीएफआरडीए कानून पेंशन क्षेत्र के नियामक को वैधानिक दर्जा देने के अलावा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत सुरक्षित तथा प्रातिफल से संबंधित आशंकाओं को दूर करेगा।
चिदंबरम ने इस बात का उल्लेख किया कि ज्यादातर देशों में अब ‘ सुस्पष्ट लाभ’ वाली पेंशन प्रणाली के स्थान पर ‘सुस्पष्ट योगदान’ वाली प्रणाली अपना रहे हैं ताकि पेंशन संबंधित जिम्मेदारी को सहज ढंग से पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस नए कानून के प्रमुख प्रावधानों में पालिसीधारकों के हित जिसमें पेंशन कोष प्रबंधक तथा निवेश योजनाओं को चुनने की छूट, न्यूनतम गारंटीशुदा रिटर्न वाली योजनाओं की पेशकश तथा तथा केवल सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के विकाल्प वाली योजनाओं का प्रवधान शामिल है।
वित्त मंत्री ने सदस्यों द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों का जवाब देते हुए बताया कि किस तरह से कानून तथा 2003-04 से सरकार के प्रयासों से इन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया गया है। फिलहाल एनपीएस के तहत कुल पेंशन कोष 37,000 करोड़ रुपये का है। सदस्यों महंगाई पर अंकुश रखने पर जोर दिया जिससे बेहतर रिटर्न सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा उन्होंने असंगठित क्षेत्र पर ध्यान देने पर भी बल दिया। चिदंबरम ने कहा कि एनपीएस का दायरा बढ़ाने की जरूरत है।
बैठक में समिति के जो सदस्य शामिल हुए उनमें अरविंद कुमार चौधरी, नरहरि महतो, प्रताप सिंह बाजवा, प्रभातसिंह चौहान, एस पी वाई रेड्डी, सौगात राय, सुरेश सी अंगाडी, डब्ल्यू भाउसाहेब राजाराम, अजय संचेती, अमर सिंह, रजनी पटेल, राजीव चंद्रशेखर, साबिर अली, अशोक शेखर गांगुली तथा मुरली एस देवड़ा हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 12, 2013, 19:48