खाद्य सब्सिडी पर WTO के दबाव में नहीं आए भारत: माकपा

खाद्य सब्सिडी पर WTO के दबाव में नहीं आए भारत: माकपा

नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्स वादी (माकपा) ने डब्ल्यूटीओ की अनुमति वाली खाद्य सब्सिडी सीमा पर चिंता जताते हुए आज कहा कि भारत को इस वैश्विक संगठन तथा पश्चिमी ताकतों के अनुचित दबाव में नहीं आना चाहिए। माकपा का कहना है कि भारत इस मुद्दे पर नियमों में बुनियादी बदलावों पर दबाव दिसंबर में बाली में होने वाली आगामी बैठक में बनाए रखे। डब्ल्यूटीओ के मौजूदा नियमों के हिसाब से विकासशील देश अपने कुल कृषि उत्पादन का 10 प्रतिशत तक ही खाद्य सब्सिडी के रूप में उपलब्ध करा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, भारत चार साल के लिए ‘मोहलत उपबंध’ पर राजी हो सकता है जिससे वह खाद्य सब्सिडी सीमा लांघने के लिए जुर्माने से बच जाएगा। इससे सरकार को एमएसपी पर खाद्यान्न की खरीद की अनुमति मिल जाएगी और वह इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए रियायती दरों पर बेच सकेगा। यह उपबंध सभी खाद्यान्नों पर लागू होगा। माकपा पोलित ब्यूरो ने आज एक बयान में कहा कि भारत इस उपबंध को खारिज कर दे।

इसके अनुसार, पोलित ब्यूरो मांग करता है कि भारत डब्ल्यूटीओ सचिवालय, यूरोपीय संघ तथा अमेरिका के इस अनुचित दबाव में नहीं आए तथा डब्ल्यूटीओ नियमों में बुनियादी बदलावों के लिए प्रयास करता रहे ताकि खाद्य सब्सिडी कार्य्रकम अवैध नहीं हो जाए। पार्टी का कहना है कि डब्ल्यूटीओ के नियमों से करोड़ों भूखे लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के भारत के मौजूदा प्रयास ही संकट में पड़ जाएंगे साथ ही इससे खाद्य सुरक्षा कदमों को और मजबूत बनाना असंभव हो जाएगा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 24, 2013, 20:27

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