Last Updated: Thursday, October 10, 2013, 23:48

बंदर सेरी बेगवान (ब्रुनेई): प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को 2015 में आशियान आर्थिक समुदाय और सहभाजी एशियाई पड़ोस को समर्थन देने की पेशकश की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आशियान देशों ने न केवल आपसी, बल्कि व्यापक क्षेत्र में सहयोग और एकजुटता की राह प्रशस्त की है। भारत के लिए यह हमारी लुक ईस्ट नीति के विश्वास का विषय है। आशियान क्षेत्रीय तंत्र के भावी उदय के केंद्र में रहे। यह तंत्र खुला और समग्रह हो।
यहां 11वें भारत-आशियान शिखर सम्मेलन के उद्घाटन में प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्र के लिए आपके नजरिए और आकांक्षाओं का हम साझा करते हैं और 2015 में आशियान आर्थिक समुदाय की दिशा में आपकी यात्रा की सराहना करते हैं।
उन्होंने कहा कि `सहभाजी एशियाई पड़ोस` में सभी देशों के पास सुरक्षा और समृद्धि में समान भागीदारी है। पूर्व और पिछले दो दशकों के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत की भागीदारी की संभावना तेजी से विकसित हुई है।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ पारस्परिक लाभ वाले द्विपक्षीय संबंधों का ही विकास नहीं नहीं चाहते, बल्कि क्षेत्रीय साझीदारों के साथ संस्थागत रूप से काम भी करना चाहते हैं और एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहते हैं जो हमारे क्षेत्र में स्थायित्व, सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए सहायक हो।
प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान संबंधों में साझी सुरक्षा चुनौतियों के प्रत्युत्तर स्वरूप रणनीतिक अवयव के बढ़ते जाने पर भी जोर दिया। इस अवयव ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के सदस्य देशों और भारत के बीच द्विपक्षीय रूप से सुरक्षा सहयोग को गहरा किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत और आशियान ने सहयोग का एक विस्तृत एजेंडा और इसे आगे ले जाने के लिए बहुआयामी ढांचा स्थापित किया है। तीसरे दशक के संबंध के लिए रणनीतिक स्तर तक उन्नत हो चुकी साझीदारी एक सीमा रेखा होगी।
और इस अवसर का लाभ लेते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत शीघ्र ही जकार्ता में पूर्ण कालिक रेजिडेंट राजदूत के साथ आसियान के लिए एक पृथक दूतावास स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस प्रयास में हमे आपका पूरा समर्थन व सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि वस्तुओं पर समझौता पूरा होने के बाद भारत इस वर्ष के आखिर तक सेवा और निवेश पर भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर और इसे शीघ्र लागू करने के लिए तैयार है।
आसियान-भारत व्यापार एवं निवेश केंद्र स्थापित कर आसियान-भारत व्यापार परिषद को नवजीवन प्रदान करने के लए उन्होंने भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य परिसंघ (फिक्की) की सराहना की। इस प्रकार के कदम से भारत और आसियान के बीच व्यापार एवं निवेश के मजबूत प्रवाह को मदद मिलेगी। पिछले वर्ष 76 अरब डॉलर का भारत-आसियान व्यापार हुआ और 2015 तक 100 अरब डॉलर और 2022 तक 200 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 10, 2013, 23:48