Last Updated: Monday, February 3, 2014, 15:59

नई दिल्ली : वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी के प्रतिष्ठित मासिक सर्वेक्षण के अनुसार इस बार जनवरी में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में पिछले 10 महीने की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। निर्यात और घरेलू मांग में वृद्धि का इसमे बड़ा योगदान बताया गया है।
एचएसबीसी के भारत संबंधी मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का आंकड़ा जनवरी में बढ़कर 51.4 अंक रहा। मार्च 2013 के बाद सबसे ऊंचा आंकड़ा है। दिसंबर महीने में पीएमआई 50.7 था। सूचकांक के 50 अंक ऊपर होना आर्थिक गतिविधियों में विस्तार प्रदर्शित करता है।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र में लगातार तीसरे महीने विस्तार हुआ है। भारत के लिए एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री लीफ एस्केसेन ने कहा, ‘नए आर्डरों से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां ने ऊंची रफ्तार पकड़ ली है।’ एचएसबीसी के अनुसार जनवरी में नए आर्डरों में 10 महीनों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। माह के दौरान घरेलू और विदेशी दोनों ही तरह के ग्राहकों की ओर से मजबूत मांग देखी गई।
एचएसबीसी ने यह भी कहा है कि इस बीच जनवरी में रोजगार की दर भी लगातार चौथे महीने बढ़ी। इसमें बड़ा योगदान विनिर्माण क्षेत्र का बताया गया है। जिसमें नौकरियों का विस्तार हुआ। एचएसबीसी की इस रपट में मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है कि जनवरी में कंपनियों के कच्चे माल आदि की लागत बढ़ी। इसके परिणाम स्वरूप कंपनियों ने उत्पादित माल की लागत भी बढ़ा दी है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 8 प्रतिशत कर दी। रिजर्व बैंक ने चालू वित्तवर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि की दर का अनुमान को घटाकर 5 प्रतिशत से कम कर दिया है। पहले उसने 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया था।
केन्द्रीय बैंक का अनुमान है कि मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति करीब 8 प्रतिशत के आस-पास रहेगी। दिसंबर में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति गिरकर 9.87 प्रतिशत रह गई, जो तीन माह का निम्नतम स्तर है। इस बीच दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक वाली मुद्रास्फीति भी नरम होकर 6.16 प्रतिशत दर्ज की गई। यह थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) का पांच माह का निम्नतम स्तर है। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 3, 2014, 15:59