Last Updated: Friday, November 29, 2013, 19:20

नई दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बाली बैठक से पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि भारत इस व्यापार बैठक में देश में खाद्य सुरक्षा व्यवस्था लागू करने के अधिकार को सुनिश्चित कराएगा और उसकी हिफाजत करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि इस बहुपक्षीय व्यापार समझौते में भारत ऐसी स्थायी व्यवस्था के लिए भी प्रयास करेगा कि कृषि सब्सिडी की सीमा टूटने पर दंड का खतरा नहीं रहे।
डब्ल्यूटीओ की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक इंडोनेशिया में बाली में 3-6 दिसंबर तक आयोजित की जा रही है। शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत कृषि सब्सिडी तथा व्यापार सरलीकरण समझौता (टीएफए) समेत विभिन्न मुद्दों पर डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के साथ सकारात्मक रूप से बातचीत जारी रखेगा।
टीएफए का मकसद डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के बीच सीमा शुल्क आदि की प्रक्रियाओं को सरल बनाकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को ज्यादा आसान बनाना है। ऐसा माना जाता है कि समझौते से वैश्विक व्यापार में 1,000 अरब डॉलर की वृद्धि हो सकती है।
डब्ल्यूटीओ के कृषि समझौते के तहत कोई देश अपने कृषि उत्पादन के अधिकतम 10 प्रतिशत के बराबर ही खाद्य सब्सिडी दे सकता है। आशंका है कि भारत के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम से देश की कृषि सब्सिडी 10 प्रतिशत की इस सीमा को पार कर जाएगी।
विकसित देशों ने इसको सीमा के अंदर रखने के लिए चार साल की मोहलत का समय रखे जाने का प्रस्ताव किया है जिसे ‘पीस क्लाज’ या ‘मोहलत उपबंध’ कहा जा रहा है। इस दौरान भारत अगर 10 प्रतिशत की सीमा को तोड़ता भी है तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं कि भारत (मोहलत उपबंध के तहत) चार साल की छूट के लिए तैयार हो गया है। मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि भारत इस मामले में अपना अंतिम रुख मंत्रीस्तरीय बैठक में ही स्पष्ट करेगा।’’
व्यापार मंत्री शर्मा ने कहा, ‘‘हमारा इस बारे में साफ रुख है कि अंतरिम समाधान का मतलब है कि जबतक स्थायी समाधान नहीं हो जाता, अंतरिम समाधान उपलब्ध रहेगा। भारत उम्मीद करता है कि बाली में सभी देश सभी मुद्दों के स्थायी समाधान के लिये बातचीत करेंगे और खाद्य सुरक्षा के मामले में अलग कार्य के तहत इस विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अपनी गरीब आबादी को मदद पहुंचाने की बात है,, तो यह हमारा अधिकार है और यह किसी भी बहुपक्षीय बातचीत या डब्ल्यूटीओ वार्ता की परिधि से बाहर है। यह संप्रभुता का विषय है और भारत के लिये यह अतिमहत्वपूर्ण है जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।’’
शर्मा ने कहा, ‘‘जब भी इस पहलू को किसी बहुपक्षीय समझौते का हिस्सा बनाने की बात हुई, भारत इस पर कभी भी सहमत नहीं हुआ।’’ खाद्य सुरक्षा कानून के लिये भारत के सरकारी अनाज भंडार से वैश्विक व्यापार प्रभावित होने को लेकर विकसित देशों की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट कर चुका हू कि सार्वजनिक वितरण के लिये खरीदे गए आनाज को वैश्विक व्यापार के लिये जारी नहीं किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत अपनी गरीब आबादी के खाद्य सुरक्षा के अधिकार तथा अपने किसानों के हितों की सुनिश्चित व्यवस्था करेगा और उसकी रक्षा करेगा।
गौरतलब है कि भारत सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद करती है जिसे विकसित देश कृषि सब्सिडी मानते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 29, 2013, 19:20