Last Updated: Thursday, May 29, 2014, 19:57
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) के वसूली प्रयास में अब वित्त मंत्रालय ने आयकर विभाग से मदद करने को कहा है। मंत्रालय ने आयकर विभाग से ऐसे लोगों की संपत्ति कर की रिटर्न बैंकों को उपलब्ध कराने को कहा है जो बैंकों का कर्ज नहीं लौटा रहे हैं।
वित्त मंत्रालय ने आयकर आयुक्तों को भेजे एक संदेश में कहा है, ‘सीबीडीटी यह स्पष्ट करता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को डिफाल्टरों से कर्ज की वसूली में मदद पहुंचाने के लिये डिफाल्टरों की संपत्ति की सूचना देना लोकहित में होगा।’ सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की कुल कर्ज में फंसी राशि में 40.2 प्रतिशत हिस्सा 30 शीर्ष एनपीए खातों का है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2013 के 1.83 लाख करोड़ रुपये से सितंबर तक 28.5 प्रतिशत बढ़कर 2.36 लाख करोड़ रुपये हो गया।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में बैंकों के एनपीए पर चिंता व्यक्त की थी। चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म अशोक महेश्वरी एण्ड एसोसिएट्स के पार्टनर अमृत महेश्वरी ने कहा, ‘बढ़ते एनपीए को देखते हुये सार्वजनिक धन की रक्षा की दिशा में यह एक स्वागत योग्य कदम है। सरकारी बैंकों के कर्ज की वसूली करना लोकहित में है।’
वित्त मंत्रालय ने यह निर्देश इस मामले में आयकर विभाग द्वारा अब तक सूचना देने से इनकार करने के मद्देनजर लिया गया है। आयकर विभाग केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के तहत आता है। बैंकों के बार-बार आग्रह के बावजूद आयकर विभाग ने रिटर्न उपलब्ध नहीं कराई। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 29, 2014, 19:57