Last Updated: Saturday, December 14, 2013, 19:33

बेंगलुरू : आयकर विभाग ने विजय माल्या के नेतृत्व वाली किंगफिशर एयरलाइंस की संपत्तियों पर अपना पहला दावा जताते हुये कहा है कि किसी भी दूसरे के बकाये के निपटान से पहले विभाग के बकाये का निपटान होना चाहिये।
आयकर विभाग ने यह दावा ऐसे समय में किया है जब किंगफिशर को कर्ज देने वाले बैंकों के समूह ने अपने बकाया कर्ज की वसूली के लिये मुंबई स्थित ‘‘किंगफिशर हाउस’’ पर अपना दावा किया है।
आयकर विभाग ने कहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड ने पिछले कई सालों के दौरान कर्मचारियों के वेतन और दूसरे भुगतनों में स्रोत पर कर कटौती की है लेकिन 350 करोड़ रुपये की इस राशि को सरकारी खाते में जमा कराने में वह नाकाम रही है।
आयकर विभाग ने किंगफिशर एयरलाइंस की तमाम परिसंपत्तियों को कुर्क किया है। विभाग इस डिफाल्टर कंपनी की संपत्तियों और आस्तियों की बिक्री से अपने बकाये की वसूली करने की प्रक्रिया में है।
विभाग ने एक वक्तव्य में कहा है, मुंबई हवाईअड्डे के घरेलू टर्मिनल के निकट स्थित किंगफिशर हाउस आयकर अधिनियम 1961 की दूसरी अनुसूची के तहत पहले से ही कुर्क संपत्ति है।
आयकर विभाग का अपने बकाये की वसूली के लिये दूसरों के मुकाबले पहले संपत्ति पर अधिकार का यह दावा कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के दो दिन बाद आया है जिसमें उच्च न्यायालय ने किंगफिशर एयरलाइंस की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एयरलाइंस ने बैंक समूह के किंगफिशर हाउस को अपने अधिकार में लेने को चुनौती दी थी।
बैंक समूह एयरलाइंस पर अपने बकाये के एक हिस्से की वसूली के लिये इस संपत्ति को अपने अधिकार में ले रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि बैंक इस संपत्ति को कानून के अनुसार हासिल कर सकते हैं।
आयकर विभाग ने कहा है कि यह कानून के तहत पहले से ही तय है कि यदि सरकार का कोई भी बकाया किसी पर लंबित है तो उसे दूसरे बकायेदारों के मुकाबले प्राथमिकता मिलेगी। इस लिहाज से आयकर विभाग के बकाये का निपटान पहले करना होगा। (एजेंसी)
First Published: Saturday, December 14, 2013, 19:33