सुधारों पर राजनीतिक आम सहमति का अभाव : प्रधानमंत्री

सुधारों पर राजनीतिक आम सहमति का अभाव : प्रधानमंत्री

सुधारों पर राजनीतिक आम सहमति का अभाव : प्रधानमंत्रीनई दिल्ली : नौकरशाही, कर कानून, नियमन और प्रक्रिया जैसे मुद्दों पर उद्योगपतियों की चिंता के संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सुधारों को लेकर राजनीतिक आम सहमति के अभाव के कारण इन चुनौतियों से निपटने में उन्हें हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में एक सम्मेलन में कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में भारतीय उद्योगपति चिंतित हुए हैं। मैं लालफीताशाही, कर कानून एवं प्रशासन, हमारे नियमन व प्रक्रियाओं से जुड़ी उनकी चिंता को समझता हूं। हमें जो सुधार लाने की जरूरत है उनके संबंध में राजनीतिक आम सहमति के अभाव के कारण मुझे इन चुनौतियों से निपटने में हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।’

अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर सारे उतार-चढ़ाव और अतीत की नीतिगत भूलों के बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था वृद्धि के दायरे में है।’ सिंह ने कहा कि पिछले दो दशक में वृद्धि दर दोगुनी होकर औसतन सात प्रतिशत से अधिक हो गई है और भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर रही है।

उन्होंने कहा, ‘उतार-चढ़ाव का दौर होना स्वाभाविक है। आर्थिक चक्र घूमने के साथ ही हमारे सामने उच्च वृद्धि के साल और सामान्य वृद्धि के साल दोनों ही आते हैं। लेकिन वृद्धि ऊंची होने के साथ ही गिरावट भी गहरी हो रही है। आज कई पांच प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से असंतुष्ट हैं जबकि दो दशक तक, पांच प्रतिशत की वृद्धि दर, हमारी पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य था।’ उन्होंने कहा कि सरकार की समावेशी वृद्धि की इस प्रक्रिया को बरकरार रखने में सबसे बड़ी चुनौती रही मुद्रास्फीति को कम करना और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में लाना।

सिंह ने कहा, ‘ये अभी भी चुनौती बने हुए हैं और इसका गंभीरता से समाधान किया जा रहा है।’ ‘वृद्धि में अचानक तेजी’ के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इस असंतुलन से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हो सकती है जैसा कि 2004-08 की अवधि में देखा गया। उन्होंने कहा ‘ऐसी वृद्धि से व्यक्तिगत संपन्नता के अवसर पैदा हो सकते हैं जिससे काम-काज की प्रक्रिया विकृत हो सकती है और सामाजिक नाराजगी पैदा हो सकती है। बढ़ती आर्थिक वृद्धि ने करोड़ों भारतीयों को गरीबी की जकड़न से आजाद करने और गरीबी कम करने में मदद की, लेकिन इसने सामाजिक व आर्थिक असमानता बढ़ाई।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, December 6, 2013, 17:43

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