Last Updated: Thursday, May 1, 2014, 21:21
नई दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने आज गैस मूल्यवृद्धि को लेकर अपने आलोचकों को अब तक का सबसे करार जवाब देते हुए भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता व पेट्रोलियम मंत्रालय में उनके मददगारों पर आरोप लगाया कि वे इस मामले में निहित स्वार्थ रखने वालों की ओर से दुर्भावनापूर्ण अभियान चला रहे हैं।
मोइली को पिछले साल से लगातार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जिसमें फाइलों पर आधिकारिक टिप्पणियां उनके दस्तखत के तुरंत बाद दासगुप्ता व गैस मूल्यवृद्धि के अन्य विरोधियों के हाथों में पहुंच जाती हैं। पेट्रोलियम मंत्री ने आज एक आक्रोशपूर्ण बयान जारी करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पहल को रोकने के लिए उनके मंत्रालय के कुछ लोग और बाहर के कुछ लोग मिले हुए हैं।
मोइली ने अपने निर्णय के पीछे किसी गलत मंशा से इनकार किया, लेकिन उन्होंने मंत्रालय में मौजूद दासगुप्ता के साथियों का नाम नहीं बताया। हालांकि समझा जाता है कि उनका इशारा मंत्रालय में उत्खनन विभाग के अधिकारियों की ओर है। मोइली ने कहा, ‘दासगुप्ता गलत, आधारहीन तथा तथ्यहीन आरोप लगा रहे है। हालांकि, उनके आरोपों का मैंने पूरे विश्वास से जवाब दिया है।’
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि दासगुप्ता का ताजा आरोप कि गैस मूल्य बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के प्रतिबंध को छकाने का प्रयास किया जा रहा है, इसी श्रृंखला में दुर्भावनापूर्ण अभियान की एक नयी कड़ी है। ‘इसकी वजह दासगुप्ता व मंत्रालय के अंदर और बाहर के उनके मददगार, ही जानते हैं।’ मोइली ने कहा कि उन्होंने अपने मंत्रालय से अप्रैल-जून के लिए संशोधित मूल्य को आम चुनाव संपन्न होने तथा आदर्श आचार संहिता हटने के बाद लागू करने को कहा है। यह मूल्य कैबिनेट द्वारा मंजूर और 10 जनवरी को अधिसूचित फार्मूला के आधार पर अधिसूचित किया जाना है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘इसलिए यह आरोप कि फाइल नोट पर यह आदेश चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन है, पूरी तरह आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण व तथ्यों से दूर है।’ दासगुप्ता ने कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत को पत्र लिखकर कहा था कि लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक गैस मूल्य में संशोधन न करने संबंधी आयोग के फैसले को ‘खुले रूप से चुनौती’ देने का प्रयास किया जा रहा है।
मोइली ने कहा कि पांच साल में पहली बार गैस मूल्य में संशोधन का मकसद घरेलू उत्खनन व उत्पादन को बढ़ाना है। मौजूदा 4.2 डालर प्रति इकाई (एमबीटीयू) का दाम व्यावहारिक नहीं है। मंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि गैस मूल्य संशोधन का विरोध करने वाले लोगों की कुछ निहित स्वार्थों व आयात लॉबी के साथ सांठगांठ है जो नहीं चाहते कि घरेलू तेल एवं गैस क्षेत्र आगे बढ़े और देश अपनी 80 फीसदी से अधिक की तेल एवं गैस की जरूरत के लिए आयात पर निर्भर बना रहे।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि तेल एवं गैस क्षेत्र 45 महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों की वजह से पिछले 15 माह में आगे बढ़ता दिख रहा है। इससे अंतत: 2020 तक आयात पर निर्भरता में 50 फीसदी की कमी आएगी।
उन्होंने कहा, ‘देश तेल एवं गैस का 160 अरब डालर का आयात बिल का बोझ नहीं झेल सकता।’ इन आरोपों पर कि गैस के दाम को बढ़ाकर 8.3 डालर प्रति इकाई करने का मकसद रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचाना है, मोइली ने कहा कि मुकेश अंबानी की कंपनी को अब विवादास्पद हो चुके केजी-डीडब्ल्यूएन-98-3 या केजी-डी6 ब्लाक के लिए अनुबंध भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के कार्यकाल में 2000 में मिला था। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार व उनका मंत्रालय 2000 में किए गए उत्पादन भागीदारी करार (पीएससी) के ढांचे में काम कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 1, 2014, 21:21