Last Updated: Wednesday, December 11, 2013, 13:28

नई दिल्ली : रेटिंग एजेंसी फिच की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार राजकोषीय घाटे को 2016-17 तक घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत के बराबर करने की राह पर बने रहने का प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा, ‘एजेंडा साफ है। राजकोषीय घाटे को कम करना प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर है। कोई समझौता नहीं हो सकता और मैं सरकार की ओर से कह रहा हूं कि राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने के मार्ग पर अग्रसर रहने और वित्त वर्ष 2016-17 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत के बराबर लाने का लक्ष्य प्राप्त करने तक कदम दर कदम, साल दर साल प्रयास जारी रखने के फैसले पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।’
चिदंबरम ‘दिल्ली आर्थिक सम्मेलन 2013’ में बोल रहे थे जिसका विषय था ‘अगले पांच साल का एजेंडा’। रेटिंग एजेंसी फिच ने कल आशंका जाहिर की थी कि हाल के विधानसभा में चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से केंद्र का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है क्योंकि संभावना है कि व्यय कटौती को सीमित करने के खिलाफ राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है।
चिदंबरम ने कई बार कहा है कि इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 प्रतिशत तक सीमित करने के बराबर लाने की सीमारेखा पार नहीं की जाएगी। सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को राजस्व घाटे पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सरकारी रिण का उपयोग उपभोग के लिए न हो।
चिदंबरम ने कहा कि भारत चालू खाते के घाटे (कैड) के उच्च स्तर को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो 2012-13 में रिकार्ड 88 अरब डालर को छू गया था। उन्होंने कहा कि देश को सोने और देश में मौजूद कच्चे माल के आयात से बचना चाहिए।
मंत्री ने कहा, ‘भारत को कोयले का आयात भी नहीं करना चाहिए क्यों कि यह देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, न ही भारत को अपने आपको ऐसे नीतिगत फंदों में उलझा लेना चाहिए कि देश को मजबूरन ऐसी चीजों का आयात करना पड़े जिसको बनाने और पैदा करने की वह खुद क्षमता रखता है।’
चिदंबरम ने उच्च मुद्रास्फीति के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया ओर कहा कि जमाखोरी और मुनाफाखोरी के खिलाफ कार्रवाई करने वाली की जिम्मेदारी आखिरकार इन सरकारों की है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 11, 2013, 13:28