‘भुगतान बैंक’ के फैसले में जल्दीबाजी नहीं : राजन

‘भुगतान बैंक’ के फैसले में जल्दीबाजी नहीं : राजन

मुंबई : ‘भुगतान बैंक’ या छोटे कारोबारियों को सेवा मुहैया कराने वाले बैंक की स्थापना करने का फैसला विभिन्न पहलुओं को देख कर किया जाएगा। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने यह जानकारी देते हुए इन पहलुओं में खास कर आर्ब्रिटाज यानी दो बाजारों के भाव में अंतर का लाभ उठाने की संभावना का विशेष जिक्र किया।

उन्होंने यहां नास्कॉम के सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘फिलहाल इस प्रस्ताव पर आगे कदम बढाने का कोई फैसला नहीं किया गया है। हम इस पर विस्तार से विचार करेंगे जिनमें इसकी व्यवहार्यता और इससे क्या फायदा होगा। साथ ही इस पर भी विचार किया जाएगा कि क्या यह अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों के मुकाबले आर्ब्रिटाज के मौके मुहैया कराएगा।’

राजन ने कहा कि सभी मामलां पर विचार करने के बाद ही आरबीआई फैसला करेगा कि इस दिशा में आगे बढ़ा जाए या नहीं और बढ़ा जाए तो इसका ढांचा क्या हो। वह ऐसे बैंक स्थापित किए जाने के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। आरबीआई द्वारा गठित नचिकेत मोर समिति ने वित्तीय समावेशन पर अपनी सिफारिशों में ऐसे बैंकों की स्थापना की सिफारिश की थी ताकि बैंकिंग सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके।

समिति ने ‘भुगतान बैंक’ स्थापित करने की वकालत की थी। इन बैंकों के जरिए दूर दराज के इलाकों में छोटे कारोबारियों और गरीब वर्ग के लोंगों को बैंकिंग सेवाएं उनके पास तक पहुंचायी जा सकें। ऐसे बैंकों में प्रत्येक खाते में अधिकतम जमा 50,000 रुपए रखने की सिफारिश है। समिति ने ऐसे बैंकों को न्यूनतम 50 करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से शुरू किए जाने का सुझाव दिया है जबकि सामान्य बैंकों के लिए न्यूनतम 500 करोड़ रुपए की पूंजी अनिवार्य है।

मोर समिति की सिफारिश है कि बैंक नेटवर्क का इतना विस्तार हो कि नागरिकों को बैंक तक पहुंचने में 15 मिनट की दूरी पर एक बैंक उपलब्ध हो। मोर का मानना है कि यह कोई कठिन नहीं है। राजन ने यहां अपने भाषण में मोर समिति की कई सिफारिशों का उल्लेख किया लेकिन कहा कि आरबीआई को अभी उन पर अमल पर विचार नहीं किया है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 12, 2014, 14:40

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