Last Updated: Friday, April 11, 2014, 13:30
मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है लेकिन कोई भी देश अपने आपको वाह्य झटकों से पूरी तरह नहीं बचा सकता।
राजन ने वाशिंगटन के ब्रूकिंग्स इंस्टीच्यूशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा ‘हमारे पास पर्याप्त मुदा-भंडार है लेकिन कोई भी देश अंतरराष्ट्रीय प्रणाली से अपने आपको को अलग नहीं कर सकता।’ हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डालर के स्तर को पार कर या जो दिसंबर 2011 के बाद का उच्चतम स्तर है। मार्च 28, को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रा भंडार 5.038 अरब बढ़कर 303.673 अरब डालर हो गया जो वित्त वर्ष का दूसरा उच्चतम स्तर था। इस अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति भी 5.011 अरब डालर बढ़कर 276.406 अरब डालर हो गई।
राजन ने कहा, ‘मेरी यह टिप्पणी इस आकांक्षा के मद्देनजर है कि अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और स्थिर हो। ऐसी प्रणाली हो जो अमीर-गरीब, बड़े-छोटे सबके लिए मुनासिब हो न कि सिर्फ हमारे हालात के मुताबिक हो।’ औद्योगिक देशों की अपारंपरिक नीतियों के बारे में उन्होंने कहा कि जब बड़े देशों में मौद्रिक नीति बेहद और अपरंपरागत तौर पर समायोजक हो तो पूंजी प्रवाह प्राप्त करने वाले देशों को फायदा जरूरत होगा।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा सिर्फ सीमा-पार के बैंकिंग प्रवाह के प्रत्यक्ष असर के कारण नहीं हुआ बल्कि अप्रत्यक्ष असर से भी हुआ क्योंकि विनिमय दर में मजबूती और परिसंपत्तियों विशेष तौर पर रीयल एस्टेट की बढ़ती कीमत के कारण लगता है कि ऋण लेने वाले के पास वास्तविकता से ज्यादा इक्विटी है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में पूंजी प्रवाह प्राप्त करने वाले देश में विनिमय दर में लचीलेपन से संतुलन की बजाय अप्रत्याशित उछाल को बढ़ावा मिलता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, April 11, 2014, 13:30