सरकारी प्रतिभूतियों को वैश्विक सूचकांक में शामिल करने की जल्दबाजी नहीं : मायाराम

सरकारी प्रतिभूतियों को वैश्विक सूचकांक में शामिल करने की जल्दबाजी नहीं : मायाराम

मुंबई : चालू खाते की चिंताओं को दूर करते हुये विदेशी मुद्रा भंडार के संतोषजनक स्तर तक पहुंचने के बीच आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने आज कहा कि वैश्विक बांड सूचकांक की सूची में सरकारी ऋण प्रतिभूतियों को शामिल करने की उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बांड बिक्री कार्यक्रम में धीरे-धीरे बदलाव की आशंका के बीच रपये के दबाव में आने से चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी की पहले से बढ़ी चिंता और बढ़ गई थी। ऐसे में सरकार ने रिजर्व बैंक से जेपी मार्गन जैसे वैश्विक बैंकों द्वारा संचालित बेंचमार्क सूचकांकों में अपनी रिण प्रतिभूतियों को शामिल करने पर बात करने के लिए कहा था। सरकार को उम्मीद थी कि इससे अरबों डालर जुटाए जा सकेंगे।

शुरूआती आंकलन के मुताबिक ऐसे प्रावधानों से करीब 30 अरब डालर आसानी से आ सकते हैं जिससे चालू खाते के घाटे से जुड़ी चिंता दूर करने में मदद मिलेगी। पिछले वित्त वर्ष चालू खाते का घाटा जीडीपी के रिकार्ड 4.8 प्रतिशत पर पहुंच गया था। हालांकि, इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है और आरबीआई व सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यह सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत के स्तर यानी 56 अरब डालर से कम रहेगा।

मायाराम ने कहा, ‘चर्चा हो रही है। रिजर्व बैंक पूरी तरह से इस प्रक्रिया में शामिल है और हमें इस चर्चा के नतीजे का इंतजार करना चाहिए। पूरे मामले पर विचार हो रहा है। फिलहाल इसके बारे में इससे अधिक कुछ भी कहना मुश्किल है।’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, November 28, 2013, 15:44

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