Last Updated: Tuesday, January 14, 2014, 19:23

नई दिल्ली : पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय की राय है कि सिर्फ निजी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों का ही नहीं, बल्कि देश में सभी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के वित्तीय खातों का अंकेक्षण या ऑडिट सरकारी ऑडिटर द्वारा कराया जाना चाहिए।
कई घोटालों पर राय की रिपोर्ट ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के लिए परेशानी खड़ी की है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को सरकार के ऑडिट पर आपत्ति क्यों है।
राय ने कहा, ‘बिजली वितरण कंपनियां पीपीपी परियोजनाओं की तरह हैं। उनके खातों का ऑडिट विश्वसनीय ऑडिटर द्वारा किया जाना चाहिए। सरकार का विश्वसनीय ऑडिटर कैग है। इन कंपनियों को ऑडिट में हिचकिचाहट क्यों है।’ दिल्ली सरकार ने गत 1 जनवरी को तीन बिजली वितरण कंपनियों बीएसईएस यमुना पावर लि., बीएसईएस राजधानी पावर लि. व टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. के वित्तीय खाते का कैग से ऑडिट का आदेश दिया है। इन कंपनियों ने कैग के ऑडिट का पुरजोर विरोध किया है। राय का यह बयान इसी आदेश के बाद आया है।
कैग 2002 में दिल्ली में बिजली वितरण के निजीकरण के बाद से इन कंपनियों के ऑडिट की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इससे पहले इसी महीने निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के खातों की कैग से ऑडिट की अनुमति दी थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 14, 2014, 19:23