Last Updated: Thursday, February 13, 2014, 15:59
वाशिंगटन : भारत-अमेरिका रणनीतिक भागीदारी और मजबूत व्यावसायिक संबंध को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को बेंगलुरु (भारत) और बफेलो (अमेरिका) दोनों जगह रोजगार के अवसर पैदा करने के बारे में सोचना चाहिए न कि सिर्फ बफेलो में। यह बात नास्कॉम के एक पूर्व अध्यक्ष ने अमेरिकी प्रशासन के एक मंच के समक्ष अपने वक्तव्य में कही है।
नास्कॉम के पूर्व अध्यक्ष और एम्फेसिस के पूर्व मुख्य कार्यकारी जेरी राव ने अमेरकिी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग (यूएसआईटीसी) के समक्ष अपने एक बयान में कहा है, ‘वास्तविकता यह है कि अमेरिका को बफेलो और बेंगलुरु दोनों में रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान देना चाहिए और यह दोनों के लिए अच्छा होगा।’ राव ‘भारत में व्यापार, निवेश और औद्योगिकी नीतियां : अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर’ के विषय में यूएसआईटीसी की सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए थे।
राव ने कहा कि ओबामा के कुछ साल पहले दिए गए बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने बेंगलूर से रोजगार के मौके बफेलो लाने की बात कही थी। राव ने कहा, ‘हमारा मानना है कि 2009 में राष्ट्रपति के भाषण लेखकों ने समझने में गलती की और लिखा कि बेंगलुरु की बजाय बफेलो में रोजगार मुहैया कराने की पहल को मदद करनी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि महीने भर बाद ही प्रौद्योगिकी क्षेत्र के मुख्य कार्यकारियों की परिषद ने एक रपट जारी की जिसमें कहा गया कि कर नीति में प्रस्तावित बदलाव से 22 लाख अमेरिकी नागरिकों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा। यही नहीं इससे अमेरिका में मशीन संयंत्र और सम्पत्तियों में निवेश में 82.2 अरब डालर की गिरावट आएगी।
उन्होंने कहा, सच्चाई यह है कि अमेरिका और भारत के सूचना प्रौद्योगिक उद्योग का संबंध दशकों पुराना है। यह सहजीवियों का सबंध है। इससे दोनों को लाभ हो रहा है और दोनों देश इससे लाभान्वित हो रहे हैं। राव ने अमेरिका के नये विभेदकारी वीजा विधेयक के मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन और अमेरिकी संसद से धीरज के साथ बढने की अपील की कहा कि इस तरह के काननू से अमेरिकी कंपनियों और लम्बे समय से चले आ रहे सूचना प्रौद्योगिकी भागीदारों के बीच संबंध बिगड़ जाएगा। इन भागीदारों में बहुत से भारत के हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 13, 2014, 15:57