Last Updated: Tuesday, December 24, 2013, 16:52
नई दिल्ली : वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 2013 कुछ सबसे कठिन वर्षों में रहा है। इसके बावजूद भारतीय कंपनी जगत के शीर्ष कार्यकारियों के वेतन में 10 से 22 फीसदी का इजाफा हुआ। इस बढोतरी में अच्छे काम से जुड़े भुगतान की खारी भूमिका रही। विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यकारियों के वेतन पैकेज में आर्थिक नरमी के रख के चलते कोई बढत की प्रवत्ति नहीं दिखी। पर 35 से 40 फीसदी शीर्ष कार्यकारियों को अपने निजी अथवा कंपनी के प्रदर्शन से संबंधित बोनस हासिल हुआ।
यह इस दृष्टि से काफी उल्लेखनीय हो जाता है कि साल के दौरान शीर्ष कार्यकारियों पर जहां एक तरह मुनाफे के मार्जिन को कायम रखने का दबाव था, वहीं उनपर लागत में कटौती, प्रतिभाओं को रोकने तथा कारोबारी धारणा के प्रबंधन की भी जिम्मेदारी थी। मानव संसाधन परामर्शकों का कहना है कि भारत में कंपनी के कार्यकारियों का प्रदर्शन विकसित देशों की तुलना में औसत से अधिक रहा है। एचआर सलाहकार यूनिसन इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक उदित मित्तल ने कहा, ‘‘पिछले साल की तुलना में इस साल कई कार्यकारियों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद कुल प्रदर्शन औसत से उपर रहा है।’’
इसी तरह की राय जाहिर करते हुए एचआर सेवा फर्म रैंडस्टैड इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मूर्ति के उप्पलुरी ने कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों के सीईओ पश्चिमी देशों की तुलना में भाग्यशाली है। भारत अभी भी आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बेशक वृद्धि की रफ्तार कम हुई है।’’ उप्पलुरी ने कहा कि वहीं दूसरी ओर विकसित देशों विशेष रूप से यूरोप के वरिष्ठ कार्यकारियों को थमी वृद्धि की संभावनाओं, वित्तीय दृष्टि से कमजोर स्थिति वाली सरकारो तथा रिटर्न में कमी की समस्याओं का सामना करना पड़ा। भारत में 2013 में शीर्ष कार्यकारियों के वेतन में अनुमानत: 8 से 10 फीसद की औसत वृद्धि हुई है, वहीं वरिष्ठ कार्यकारियों का वेतन 20 से 22 फीसदी बढ़ा है। कार्यकारी खोज कंपनी मैंसर के अनुसार 2013 में कार्यकारियों के वेतन पैकेज में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 24, 2013, 16:52