Last Updated: Thursday, April 24, 2014, 19:05
नई दिल्ली : बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) से जुड़े मुद्दों पर अमेरिका के साथ बढते तनाव के बीच देश का दवा निर्यात बीते वित्त वर्ष में 1.2 प्रतिशत बढ़कर 14.84 अरब डॉलर हो गया लेकिन निर्यात में यह बीते 15 साल में सबसे कम वृद्धि रही। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका द्वारा उठाए गए आईपीआर मुद्दों की शीघ्र समाधान की संभावना नहीं है ऐसे में 2014-15 के लिए 25 अरब डॉलर का तय निर्यात लक्ष्य हासिल होने की संभावना नहीं है। अमेरिका, भारतीय दवाओं का सबसे बड़ा बाजार है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकडों के अनुसार 2012-13 में देश का दवा निर्यात बढ़कर 14.66 अरब डॉलर हो गया।
वित्त वर्ष 2013-14 में दर्ज वृद्धि दर लगभग 15 साल में सबसे कम है। इससे पहले 2009-10 में दवा निर्यात 5.9 प्रतिशत रहा था। कैलेंडर वर्ष 2000 में निर्यात में वृद्धि 7 प्रतिशत रही। फार्मएक्सिल के कार्यकारी निदेशक पीवी अप्पाजी ने कहा, अमेरिका द्वारा चिंता व्यक्त करने तथा बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण 2013-14 में वृद्धि दर कमजोर रही।
एक अधिकारी ने भारतीय कंपनियों के समक्ष चुनौतियों का ज्रिक करते हुए कहा, अमेरिकी उद्योग का आरोप है कि विशेषकर दवा क्षेत्र हेतु भारत के आईपीआर कानून अमेरिकी फर्मों के लिए भेदभावपूर्ण हैं। ये फर्में भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपनी सरकार पर दबाव बना रही हैं। उल्लेखनीय है कि भारत के दवा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 25 प्रतिशत है और वह इस लिहाज से शीर्ष गंतव्य है। उसके बाद ब्रिटेन का नंबर आता है। ओबामा सरकार ने विशेषकर दवा क्षेत्र के लिए भारत के निवेश माहौल तथा आईपीआर कानूनों की कड़ी आलोचना की है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, April 24, 2014, 19:05