Last Updated: Saturday, October 19, 2013, 20:42

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नीरा राडिया की टैप की गयी बातचीत से सामने आये मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और उनके भाई अनिल अंबानी की एडीएजी और टाटा समूह जैसे शीर्ष औद्योगिक घरानों पर दिखाई गई कथित कृपादृष्टि, दलालों की कार्यशैली, उड्डयन क्षेत्र में दलाली, यूनीटेक के शेयरों में हेराफेरी, कर अधिकारियों को गैरकानूनी तरीके से रिश्वत देने जैसे तथ्यों की केन्द्रीय जांच ब्यूरो जांच करेगा।
न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा है कि टैप की गयी बातचीत से पता चलता है कि अनैतिक तत्वों ने सरकारी अधिकारियों से लाभ प्राप्त करने के लिये भ्रष्ट तरीके अपनाये। न्यायालय ने जिन मसलों की जांच के आदेश दिये हैं उनमें तत्कालीन हाइड्रोकार्बन महानिदेशक वी के सिब्बल द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रति कृपादृष्टि और बदले में लाभ प्राप्त करना भी शामिल है।
न्यायालय ने सीबीआई को एडीएजी समूह की सासन विद्युत परियोजना के लिये कोयला खदान के आबंटन और टाटा स्टील को झारखंड के सिंहभूमि के अंकुआ में लौह अयस्क की खदान के आबंटन की भी जांच का निर्देश दिया है।
न्यायाधीशों ने आयकर विभाग द्वारा सर्वे और छापे की कार्यवाही के संबंध में लोकसेवकों के कथित आपराधिक कदाचार, काम कराने के लिये कर अधिकारियों को गैरकानूनी तरीके से रिश्वत देने और स्पेक्ट्रम के आबंटन के बारे में बातचीत की भी जांच के आदेश दिये हैं।
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त जांच दल ने नीरा राडिया के साथ नौकरशाहों, नेताओं, औद्योगिक घरानों और पत्रकारों की रिकार्ड की गयी बातचीत के विश्लेषण करके 23 मुद्दे तैयार किये थे। न्यायालय ने इनमें से 14 मुद्दों की सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं।
न्यायालय ने उड्डयन क्षेत्र में दलालों और बिचौलियों की कार्यशैली तथा कमीशन और ट्राई के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बैजल को पाइपलाइन सलाहकार समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की भी जांच का आदेश दिया है।
जांच एजेन्सी शेयर बाजार में यूनीटेक के शेयरों के साथ हेराफेरी और धन बचाने के लिये एडीएजी कंपनी द्वारा शेयरधारकों के रिकार्ड में छेड़छाड़ कर उसे बांबे स्टाक एक्सचेंज और ट्राई में पेश करने की भी जांच करेगी।
इसी तरह जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना के तहत तमिलनाडु सरकार को टाटा मोटर्स द्वारा लो फ्लोर बसों की आपूर्ति की भी जांच की जायेगी।
शीर्ष अदलात ने रिकार्ड की गयी बातचीत में न्यायपालिका, न्यायाधीशों और न्यायाधिकरणों में भ्रष्टाचार से संबंधित मसला प्रधान न्यायाधीश के पास उचित कार्यवाही के लिये भेज दिया है।
रिलायंस एडीएजी समूह के पास स्टील संयंत्र होने के बगैर ही लौह अयस्क की खदान के आबंटन का मामला केन्द्रीय खान मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पास भेजा गया है। न्यायाधीशों ने नीरा राडिया के टैप की गयी बातचीत सार्वजनिक करने पर रोक लगाने के लिये टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा द्वारा शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने के बाद इस बातचीत की छानबीन का विवरण देते हुये कहा है कि जांच दल ने संदिग्ध काल ब्यौरे को 17 मुद्दों में श्रेणीबद्ध किया जिनमें कुछ में अपराधिता या अनयिमितता का संकेत मिला था।
न्यायालय ने कहा कि आठ मुद्दों से पहली नजर में यह संकेत मिलता है कि व्यवस्था में काफी गहराई तक बीमारी जड़ पकड़ चुकी है जिसका लाभ निजी उद्यमियों ने सरकारी अधिकारियों और दूसरे व्यक्तियों की मिलीभगत से उठाया।
न्यायालय ने कुछ मसलों की जांच राज्य पुलिस और दूसरी एजेन्सियों से कराने का जांच दल का सुझाव अस्वीकार कर दिया।
जांच दल की रिपोर्ट में शामिल दूसरे मसलों में मंत्रिमंडल में स्थान के लिये दयानिधि मारन द्वारा कथित रूप से स्टालिन की मां को धन देना और तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के कहने पर आर्कोट वीरास्वामी के भतीजे को टीसीएस द्वारा लंदन भेजना भी है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 19, 2013, 20:42