Last Updated: Tuesday, October 29, 2013, 15:22
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा की। आरबीआई ने आज समीक्षा में रेपो रेट को बढ़ा दिया है। रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। यह 7.50 से बढ़कर 7.75 फीसदी हो गया है। गौर हो कि रेपो रेट पर ही बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि रेपो रेट बढ़ने के बाद अब आम लोगों के ऊपर ईएमआई का बोझ बढ़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि कर दी, लेकिन रुपये की मदद के लिए उठाए गए कदम वापस ले लिए। इसके कारण आवास, वाहन और अन्य ऋण महंगे हो सकते हैं। आरबीआई ने 2013-14 की दूसरी तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में रिपर्चेज दर या रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 7.75 फीसदी कर दिया। रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से लघु अवधि के लिए ऋण लेते हैं।
बैंक ने दो महीने के भीतर दूसरी बार रेपो दर बढ़ाई है। इससे पहले 20 सितंबर को रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की गई थी। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई स्थिरता को देखते हुए रिजर्व बैंक ने रुपये को संबल प्रदान करने हेतु पूर्व में उठाए गए कदम भी वापस ले लिए। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को 25 आधार अंक घटाकर 8.75 फीसदी कर दिया। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ेगी। एमएसएफ वाणिज्यि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेने की विशेष खिड़की है।
आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने एक बयान में कहा कि एमएसएफ में कटौती और रेपो दर में वृद्धि के साथ ही मौद्रिक नीति को सामान्य बनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई। आरबीआई आम तौर पर एमएसएफ को रेपो दर से 100 आधार अंक अधिक रखता है। लेकिन हाल में रुपये को मजबूती देने के लिए इसमें परिवर्तन किया गया था। ताजा बदलाव के साथ ही रेपो दर और एमएसएफ के बीच 100 आधार अंक का फासला स्थापित हो गया।
राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति समीक्षा में लिए गए नीतिगत फैसले का उद्देश्य महंगाई के दबाव को कम करना है और सुस्त विकास दर के बीच महंगाई के अनुमान का प्रबंधन करना है। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक और वित्तीय स्थिरता आएगी और विकास का माहौल बनेगा। रिजर्व बैंक विकास के सामने आ रहे घटनाक्रमों पर नजर रखने के साथ ही महंगाई के जोखिम को भी ध्यान में रखेगा। थोक महंगाई दर सितंबर में 6.46 फीसदी दर्ज की गई, जो पिछले सात महीने का ऊपरी स्तर है। उपभोक्ता महंगाई दर भी इस दौरान 9.84 फीसदी रही। इसमें खाद्य वस्तुओं और ईंधन की महंगाई ने मुख्य भूमिका निभाई।
चार सितंबर को आरबीआई की बागडोर संभालने वाले राजन ने कहा कि आने वाले महीनों में थोक और उपभोक्ता महंगाई दर अधिक बनी रहेगी। राजन के बयान से लगता है कि यदि महंगाई ऊपरी स्तर पर बनी रहेगी, तो दर में फिर से वृद्धि हो सकती है।
उद्योग संघ, एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि आरबीआई का संकेत स्पष्ट है। जब तक महंगाई है, दरों में कटौती की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। कपूर यस बैंक के प्रबंध निदेशक भी हैं। कपूर ने कहा कि महंगाई के विरुद्ध केंद्र, राज्यों और आरबीआई को सम्मिलित कोशिश करनी चाहिए। आरबीआई ने मौजूदा कारोबारी साल में विकास दर के अनुमान को पूर्व घोषित 5.5 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया। आरबीआई की नीति समीक्षा घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि रेपो दर में वृद्धि निराशाजनक है, खासकर ऐसे वक्त में जब निवेश का माहौल उत्साहवर्धक नहीं है।
परिसंघ ने अपने बयान में कहा कि आरबीआई को दर में वृद्धि का फैसला नहीं करना चाहिए था, क्योंकि उद्योग पहले से ही कम तरलता के कारण महंगे कर्ज दर और पूंजी की कम उपलब्धता के दबाव में है।
First Published: Tuesday, October 29, 2013, 09:10