Last Updated: Wednesday, May 21, 2014, 23:22
काठमांडो : दक्षिण एशिया दुनिया का सर्वाधिक भ्रष्टाचार वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लोग गरीबी की बाधा को तोड़ नहीं पा रहे हैं। हालांकि यह अलग बात है कि क्षेत्र में पिछले कई साल से मजबूत आर्थिक वृद्धि हुई है। भ्रष्टाचार निरोधक संगठन ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) ने आज एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
‘फाइटिंग करप्शन इन साउथ एशिया: बिल्डिंग एकाउंटेबिलिटी’ शीषर्क से जारी रिपोर्ट में टीआई के एशिया प्रशांत क्षेत्र के निदेशक श्रीराक पिलपैत ने कहा, हमारे अध्ययन में भ्रष्टाचार के मामले में दक्षिण एशिया दुनिया में बदतर क्षेत्र है। उन्होंने कहा, मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गरीबी कैसे हो सकती है? इसका कारण भ्रष्टाचार है जो कुछ लोगों को बिना किसी जवाबदेही के मुनाफे की इजाजत देता है।
पिलपैत ने रेखांकित किया, जब तक कोई भ्रष्ट लोगों को कानून के दायरे में नहीं लाता है, दक्षिण एशिया के नेताओं के लिये यह जोखिम है कि भविष्य में होने वाली वृद्धि से केवल शक्तिशाली लाभान्वित होंगे। उससे आधे अरब की दक्षिण एशियाई आबादी को लाभ नहीं होगा जो अभी भी गरीबी में जीने को मजबूर हैं।
क्षेत्र में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने पर अपने पहले व्यापक अध्ययन में टीआई ने कहा कि भ्रष्टाचार से घिरे दक्षिण एशिया की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से भ्रष्ट लोगों के खिलाफ जांच और अभियोजन चलाने की अनुमति होनी चाहिए।
रिपोर्ट में इस बात का विश्लेषण है कि कैसे बांग्लादेश, भारत, मालदीव, नेपान, पाकिस्तान तथा श्रीलंका के 70 राष्ट्रीय संस्थान भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं। टीआई ने आगाह किया है कि दक्षिण एशियाई देशों में सरकार और लोग अगर भ्रष्ट लोगों को सामने लाने और जांच करना चाहते हैं, उन्हें कानूनी बाधाओं, राजनीतिक विरोध तथा परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे रिश्वत, गुप-चुप लेनदेन तथा शक्तियों का दुरूपयोग पर अंकुश नहीं लग पाता।
टीआई के अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में नेपाल की स्थिति सुधरी है और ‘करप्शन परसेप्शन इंडेक्स’ (सीपीआई) के संदर्भ में 177 देशों की सूची में वह 2012 में 139वें स्थान से 2013 में 116वें स्थान पर आ गया है। विश्वबैंक की रिपोर्ट के अनुसार उपमहाद्वीप में पिछले दो दशक से 6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो रही है, 31 प्रतिशत लोग 1.25 डालर रोजाना से कम पर गुजारा कर रहे हैं।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 21, 2014, 23:22