Last Updated: Friday, December 20, 2013, 13:51
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने योजना आयोग के पुनर्गठन का सुझाव देते हुए कहा कि आयोग को केवल भावी योजना तैयार करने और उसके क्रियान्वयन पर ध्यान देना चाहिये। राज्यों के वित्तीय मामलों और कामकाज में आयोग का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये।
सिन्हा ने कहा कि राज्यों के वित्तपोषण और कामकाज की बारीकी से देखरेख उसे नहीं करनी चाहिये यह काम वित्त मंत्रालय का है। ‘आयोग को राज्यों के वित्त प्रबंधन पर बारीक निगाह रखने का अधिकार दिये बिना उसे केवल भावी योजना और उसके क्रियान्वयन का काम दिया जाना चाहिए।’
सिन्हा यहां कट्स के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योजना आयोग का गठन एक सरकारी आदेश के जरिये किया गया। तब से यह बिना किसी संवैधानिक व्यवस्था के लगातार काम कर रहा है और आज राज्यों को धन के बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सहकारी संघवाद ही एकमात्र रास्ता है। आने वाले समय में केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच व्यापक सहयोग की जरूरत होगी। राज्यसभा सांसद एन.के. सिंह ने कहा कि समय के साथ देश में राज्यों और केन्द्र सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिये कोई विश्वस्त और व्यावहारिक प्रणाली विकसित नहीं हो पाई है। अंतरराज्यीय परिषद बेकार पड़ी है।
सिन्हा ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारसंपन्न समिति केन्द्र और राज्यों के सहयोग के मामले में एक सफल अनुभव है। दूसरे मामलों जैसे आंतरिक सुरक्षा मुद्दे पर भी ऐसी ही गृहमंत्रियों की एक समिति बनाई जा सकती है।
राजकोषीय घाटे की स्थिति सुधारने के मामले में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के मुकाबले इस मामले में राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। कट्स के महासचिव प्रदीप एस. मेहता ने इस अवसर पर कहा कि भारत का संविधान किसी केन्द्र अथवा केन्द्र सरकार की भूमिका को नहीं बताता बल्कि इसमें संघीय सरकार की भूमिका बताई गई है। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 20, 2013, 13:51