निवेशकों को रिफंड में देरी के लिए SEBI जिम्मेदार: सहारा

निवेशकों को रिफंड में देरी के लिए SEBI जिम्मेदार: सहारा

नई दिल्ली : निवेशकों को करोड़ों रुपये का रिफंड नकद करने करने के लिए अदालत के सवालों का सामना कर रहे सहारा समूह ने आज कहा कि उसकी शाखाओं के विशाल नेटवर्क की वजह से इतने बड़े पैमाने पर नकदी का लेनदेन संभव हो सका। समूह ने निवेशकों को रिफंड में विलंब का ठीकरा सेबी पर फोड़ते हुए कहा कि नकदी में यह लेनदेन एक ‘सख्त, सुविधाजनक, सुरक्षित व लागत प्रभावी नीति’ पर आधारित था।

उच्चतम न्यायालय ने कल पूछा था कि सहारा 20,000 करोड़ रुपये के रिफंड की जो बात कर रहा है उसका भुगतान केवल नकदी में कैसे कर सका। न्यायालय ने यह टिप्पणी सेबी के इस उल्लेख के बाद की कि सहारा ने ने निवेशकों को रिफंड किए जाने की पुष्टि के लिए कोई बैंक का कागज आदि नहीं पेश किया और दावा किया है कि उसने नकद में यह भुगतान किया। न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी तय की है।

सहारा समूह ने आज एक बयान जारी कर कहा कि शाखाओं व बैंकों के बीच धन ले जाते समय उसके कर्मचारियों के साथ ‘छिनैती, लूट, चोट और यहां तक कि हत्या के सैकड़ों घटनाओं के सामने आने के बाद कंपनी ने नकदी की नीति बनाई थी।

सहारा ने कहा कि नियामक हमारे विस्तृत नेटवर्क को नहीं समझना चाहता। यह नेटवर्क 4,700 केंद्रों तक फैला है और प्रत्येक शाखा में औसत दैनिक भुगतान करीब ढाई लाख रुपये का है। सहारा ने कहा है कि उसने सेबी के पास जो 5,120 करोड़ रपये जमा किए हैं उसमें से पिछले 17 महीने में सेबी निवेशकों को केवल करीब 70 लाख रपये का ही रिफंड कर सका है।

सहारा समूह का दावा है कि सेबी ने इस दौरान तीन करोड़ निवेशकों में से एक के भी सत्यापन की प्रक्रिया शुरू नहीं की और सहारा द्वारा सौंपे गए संपत्तियों के ब्यौरे के मूल्यांकन की रिपोर्ट देने से बचता रहा। समूह ने अदालत द्वारा सेबी को मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिए जाने का स्वागत किया।

सहारा समूह ने कहा कि सहारा समूह में 12 लाख परिवार अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। समूह की छवि एवं विश्वसनीयता ‘‘बुरी तरह प्रभावित’’ हुई है। समूह ने कहा कि उसके ज्यादातर निवेशक छोटे निवेशक हैं और औसत बांड निवेश राशि करीब 8,000 रुपये है।

समूह ने नकदी में रिफंड को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि इनमें से 98 प्रतिशत निवेशक 500 रपये से लेकर 19,000 रुपये तक जमा करा रखे हैं और उनमें से ज्यादातर के बैंक खाते नहीं हैं। इसीलिए वे नकद में धन जमा कराते हैं और नकद में लेते हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 12, 2014, 21:44

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