Last Updated: Sunday, February 23, 2014, 14:52
सिडनी : जी-20 बैठक के नतीजे पर संतोष जताते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि अमेरिकी प्रोत्साहन उपायों को वापस लेने तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की कोटा व्यवस्था में सुधार में तेजी लाने की जरूरत के संदर्भ में भारत की चिंताओं को इसके आधिकारिक वक्तव्य में स्थान मिला है।
विकसित और प्रमुख विकासशील देशों के मंच जी20 वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक के समापन के बाद चिदंबरम ने कहा, ‘अधिकारियों ने मिल बैठकर यह आधिकारिक बयान तैयार किया है और इसमें हमारी चिंताएं पूरी तरह परिलक्षित हो रही हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह जी-20 के आधिकारिक बयान से संतुष्ट हैं, मंत्री ने कहा, ‘हां।’ यहां दो दिन के इस सम्मेलन में मुद्राकोष तथा यूरोपीय केंद्रीय बैंक जैसे बुहपक्षीय वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सामूहिक रूप से जी-20 की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है।
चिदंबरम ने कहा कि भारत ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बांड खरीद कार्यक्रम को हल्का करने से विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभाव की चिंता जतायी थी और आईएमएफ :मुद्राकोष: की कोटा प्रणाली में सुधार शीघ्र करने ने की जरूरत को रेखांकित किया था। उम्मीद है कि मुद्राकोष कोटा सुधार से बहुपक्षीय संस्थान में उभरती अर्थव्यवस्था की भूमिका बढ़ेगी।
चिदंबरम ने कहा कहा, ‘...जब देश प्रोत्साहन उपायों को वापस ले रहे हैं तो उन्हें इसका विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए।’ चिदंबरम ने कहा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जब बड़ी अर्थव्यवस्थाएं नरमी में चली गयी थी तो उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने मुद्राकोष की सलाह का अनुपालन किया था।
उन्होंने कहा , ‘इसीलिए जब उन्होंने (विकसित देशों ने) आर्थिक नरमी के दौरान हमसे सहयोग मांगा था तो यह उचित होगा कि वे आर्थिक हालात सुधारने में विकासशील देशों के साथ सहयोग करें।’ वह जर्मनी के वित्त मंत्री वोल्फागांग श्योबल के उस बयान पर टिप्पणी कर रहे थे जिसमें कहा गया है कि भारत को अपनी समस्याओं के लिये विकसित देशों की मौद्रिक नीति को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बांड खरीद कार्यक्रम में नरमी के संदर्भ में चिदंबरम ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं को जी-20 ने माना है और यह अमेरिका पर है कि वह इसके लिये कदम उठाये और विकासशील देशों की चिंताओं का समाधान करे।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदम से अमेरिका में नरमी कम हो रही है और निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी बाहर निकल रहे हैं और इससे इन देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं की विनिमय दरों पर असर पड़ रहा है। जी20 सम्मेलन में माहौल के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘कुल मिलाकर माहौल सतकर्तापूर्ण था..सतर्कता बरतते हुए आशावादी था।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 23, 2014, 14:52