सुप्रीम कोर्ट से सहारा को कड़ी फटकार, संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपेने को कहा

SC से सहारा को फटकार, संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपेने को कहा

SC से सहारा को फटकार, संपत्तियों के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपेने को कहानई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सहारा समूह निवेशकों को धन लौटाने के चर्चित मामले में ‘लुका छिपी’ खेल रहा है और उस पर अब और अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता है। न्यायलाय ने इसके साथ ही सहारा समूह को निर्देश दिया कि वह अपनी 20 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज सेबी को सौंपे।

न्यायालय ने साथ ही चेतावनी दी कि यदि तीन सप्ताह के भीतर इस आदेश पर अमल नहीं हुआ तो समूह के मुखिया सुब्रत राय को देश से बाहर जाने से रोक दिया जायेगा।

न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि निवेशकों को लौटाये जाने वाला धन बाजार नियामक को सौंपने से ‘बचने का’ कोई रास्ता नहीं बचा है है। न्यायाधीशों ने समूह को यह निर्देश भी दिया कि संपत्तियों के मूल्यांकन की रिपोर्ट भी सेबी को सौंपी जाये जो संपत्ति की कीमत की पुष्टि करेगा।

इससे पहले राय के वकील ने कहा था कि उनकी प्रतिष्ठा और कारोबार को नुकसान पहुंच सकता है।

राय के वकील सी ए सुन्दरम ने कहा कि उनके मुवक्किल के व्यवहार ने कभी भी संदेह नहीं पैदा किया है। इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आपने सभी को चारों तरफ नचाया है। पहले दिन से हम संयम बरत रहे हैं। आप जरूरत से ज्यादा लुका छिपी करते हैं। हम आप पर और अधिक भरोसा नहीं कर सकते। आपके लिये अब बचाव का कोई और रास्ता नहीं है और धन तो देना ही होगा।’’

न्यायालय ने इसके साथ ही सहारा समूह को भरोसा दिलाया कि यदि निवेशकों का धन लौटा दिया गया तो उसके हितों की रक्षा की जायेगी। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 20 नवंबर के लिये स्थगित कर दी। न्यायालय उस दिन उन संपत्तियों के बारे में विचार करेगा जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपे जायेंगे।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही सहारा समूह के वकील सुंदरम ने कहा कि 20 हजार करोड़ रुपए का नकद भुगतान करना संभव नहीं है और यदि उसे नकद भुगतान करने का निर्देश दिया गया तो कंपनी दिवालिया हो जायेगी। सुन्दरम ने कहा, ‘‘यदि मुझे 19 हजार करोड़ रुपए नकद भुगतान करने पड़े तो मैं खत्म हो जाउंगा। मेरी कंपनी दिवालिया हो जायेगी।’’उन्होंने कहा कि बैंक भी उन्हें कर्ज देने के लिये तैयार नहीं है क्योंकि वह उसे सुरक्षित नहीं मान रहे हैं।

उन्होंने एंबी वैली सहित तमाम संपत्तियों का विवरण दिया और कहा कि 30 हजार मालिकाना हक के विलेखों के दस्तावेज हजारों पन्ने के हैं। सेबी ने इन संपत्तियों के मालिकाना हल विलेखों पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि सहारा समूह को इन संपत्तियों को बेचकर उसे नकद राशि देनी चाहिए।

लेकिन न्यायालय ने सेबी से कहा कि वह सहारा द्वारा उसे सौंपे जाने वाली संपत्तियों के संपत्तियों विलेखों और मूल्यांकन के रिकार्ड का अवलोकन करे। न्यायालय ने कहा कि इन विलेखों की छानबीन करके इसकी कीमत का अनुमान लगाया जाये। इस पर सेबी के वकील अरविन्द दातार ने कहा कि संपत्तियों के मूल्यांकन से दूसरे सवाल खड़े हो सकते हैं।

न्यायाधीशों ने दातार से कहा, ‘‘सब कुछ किया जायेगा। आप उच्चतम न्यायालय को कमतर आंक रहे हैं। न्यायालय राय, सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प लि और उनके निदेशकों के खिलाफ सेबी की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

न्यायालय ने पिछले साल 31 अगस्त को सहारा समूह को निर्देश दिया था कि नवंबर के अंत तक निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए लौटायें जायें। यह समय सीमा आगे बढायी गयी थी और कंपनियों को 5,120 करोड रुपए तत्काल जमा करने तथा दस हजार करोड रुपए जनवरी के पहले सप्ताह में तथा शेष रकम फरवरी के प्रथम सप्ताह के जमा कराने थे।

समूह ने पांच दिसंबर को 5120 करोड़ रुपए का ड्राफ्ट जमा कराया था लेकिन शेष रकम का भुगतान करने में वह असफल रहा था। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 28, 2013, 16:23

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