सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा के खिलाफ गैर जमानती वारंट

सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा के खिलाफ गैर जमानती वारंट

सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा के खिलाफ गैर जमानती वारंटनई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय के खिलाफ आज गैर जमानती वारंट जारी किया क्योंकि वह समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों को 20 हजार करोड़ रूपए लौटाने के न्यायिक निर्देश पर अमल नहीं करने से संबंधित मामले मे वह न्यायालय में पेश नहीं हुये। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने कहा कि हमने कल ही राय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने से इंकार कर दिया था। वह आज भी पेश नहीं हुये हैं और हम गैर जमानती वारंट जारी कर रहे हैं जिसकी तामील चार मार्च तक होनी है।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने न्यायाधीशों को सूचित किया कि 95 वर्षीय मां के खराब स्वास्थ्य की वजह से वह न्यायालय में पेश होने में असमर्थ हैं। इस पर न्यायाधीशों ने कहा, कि इस न्यायालय के हाथ बहुत लंबे हैं। कल ही हमने व्यक्तिगत पेशी से छूट देने का आपका अनुरोध ठुकराया था। हम गैर जमानती वारंट जारी करेंगे। यह देश की सर्वोच्च अदालत है।

न्यायाधीशों ने कहा कि कल हमने आपसे कहा था कि हम व्यक्तिगत पेशी से आपको छूट देने के पक्ष में नहीं हैं। यदि अन्य निदेशक पेश हो सकते हैं तो फिर आप क्यों नहीं?’ न्यायालय ने निवेशकों को 20 हजार करोड रूपए लौटाने के आदेश पर अमल नहीं किये जाने के कारण 20 फरवरी को सहारा समूह को आड़े हाथ लेते हुये सुब्रत राय के साथ ही सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेन्ट कार्प लि के निदेशकों रवि शंकर दुबे, अशोक राय चौधरी और वंदना भार्गव को समन जारी किये थे।

जेठमलानी ने राय के पेश नहीं होने के बारे में सफाई देने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह अपनी बीमार मां के बिस्तर के पास उनका हाथ थामे बैठे हैं। उन्होंने राय की मां के खराब स्वास्थ्य के बारे में मेडिकल सर्टीफिकेट भी पेश किया और कहा कि इससे पहले सभी अवसरों पर सहारा समूह के मुखिया ने शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल किया है।

लेकिन न्यायाधीशों ने कहा कि पिछले दो साल से हम देख रहे हैं कि इस मामले में क्या हो रहा है। शीर्ष अदालत ने कल ही सुब्रत राय को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने से इंकार करते हुये उन्हें आज न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि कानून का शासन बनाये रखना होगा और राय को 20 फरवरी के आदेश पर अमल करना होगा।

न्यायालय ने इससे पहले सुनवाई के दौरान कहा था कि सेबी सहारा समूह की उन संपत्तियों को बेच सकती है जिनके बिक्री विलेख निवेशकों का 20 हजार करोड़ रूपया वसूलने के लिये उसे सौंपे जा चुके हैं।

सेबी ने न्यायालय से कहा था कि कंपनी खुद ही इन संपत्तियों को बेचकर धन जमा करा सकती है। इस पर न्यायालय ने कहा था कि सेबी इन संपत्तियों की नीलामी करके धन प्राप्त कर सकती है। शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को अपने फैसले में सेबी को सहारा की संपत्ति कुर्क करके धन वसूलने का निर्देश दिया था। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 26, 2014, 14:31

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