Last Updated: Friday, December 6, 2013, 21:57
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री द्वारा गठित कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्रियों के अनौपचारिक समूह ने चीनी उद्योग के लिए आज 7,200 करोड़ रुपये के ब्याजमुक्त ऋण पैकेज सहित अनेक राहतों की सिफारिश की है। इस ऋण का उपयोग
चीनी मिलें गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करने के लिए करेंगी।
कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्रियों के अनौपचारिक समूह का गठन चीनी मिलों के नकदी संकट का समाधान तलाशने के लिए किया गया था। मिलें चालू सत्र में ऊंचे गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर पाई और उनका बकाया भी 3,400 करोड़ रुपये का हो गया।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने मंत्री समूह की सिफारिशों की सिफारिशों की सराहना करते हुये कहा है कि ऐसे उपाय से गन्ने के बकाये का भुगतान हो जायेगा और मिलों के पास नकदी प्रवाह बढ़ेगा। समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुरूप चीनी मिलों के कर्ज को नये सिरे से तय करने का भी सुझाव दिया है।
इसके अलावा 40 लाख टन तक कच्ची चीनी उत्पादन के लिए सहायता और बफर स्टॉक की स्थापना के अलावा पेट्रोल में इथनॉल सम्मिश्रण की मात्रा को बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने का भी सुझाव दिया है। बैठक के बाद संवाददाताओं को पवार ने कहा, `बैंकों द्वारा चीनी मिलों को 7,200 करोड़ रपये का रिण प्रदान किया जायेगा। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से गन्ना के बकाये के भुगतान के लिए किया जायेगा तथा रिण का ब्याज वाले पक्ष का बोझ भारत सरकार तथा गन्ना विकास कोष :एसडीएफ: द्वारा वहन किया जायेगा।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ैकुल ब्याज सहायता 12 प्रतिशत होगी। इसमें से 7 प्रतिशत का भुगतान चीनी विकास कोष से किया जायेगा जबकि 5 प्रतिशत भारत सरकार की ओर से होगा। ै उन्होंने कहा कि चीनी मिलों को पांच वषरे में रिण का भुगतान करना होगा लेकिन पहले दो वर्ष तक पुनभरुगतान पर छूट की अवधि होगी। उन्होंने कहा कि इन उपायों पर अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा अगले दो सप्ताह में किया जायेगा।
सरकार ने चीनी मिलों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पावधिक +ण प्रदान करने के लिए एसडीएफ को सृजित किया। इस धन में आबकारी शुल्क का कुछ हिस्सा और चीनी बिक्री पर केन्द्र सरकार द्वारा संग्रहित किया गया उपकर (सेस) शामिल है।
बैठक में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, खाद्य मंत्री के वी थॉमस, नागर विमानन मंत्री अजित सिंह मौजूद थे।
बैठक में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। तमिलनाडु की ओर से प्रदेश का प्रतिनिधित्व प्रदेश के मुख्य सचिव शीला बालाकृष्णन कर रहे थे। पवार ने कहा कि समिति ने राज्यों की पेट्रोल में मिलाई जाने वाली इथनॉल की मात्रा को बढ़ाने की मांग को स्वीकार किया है। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए एक अन्तर मंत्रालयीय समिति की स्थापना की जायेगी। इथनॉल गन्ना प्रसंस्करण के दौरान तैयार किया जाता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 6, 2013, 21:57