Last Updated: Monday, December 30, 2013, 21:44
मुंबई : अमेरिका और अन्य विकसित देशों में दिग्गज श्रेणी के बैंकों को ज्यादा नियामकीय निगरानी से गुजरना होता है। भारतीय नियामकों ने भी कुछ ऐसे निश्चित समूहों की पहचान की है जो बड़े वित्तीय संस्थान हैं और उन्हें प्रणालीगत जोखिमों की वजह से कड़ी निगरानी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन यू के सिन्हा ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था और बाजार के आकार के हिसाब से ऐसे संस्थान हैं जो काफी बड़े हैं। हमें उन पर निगाह रखने की जरूरत है। अपने समन्वय के तंत्र के जरिये हमने ऐसे कुछ संस्थानों की पहचान की है जिनकी नियमित आधार पर निगरानी की जा रही है।’’
सिन्हा ने कहा कि बड़े वित्तीय संस्थानों की अवधारणा भारत के लिए भी तर्कसंगत बैठती है। किसी व्यक्तिगत इकाई का नाम लिए बिना सेबी के प्रमुख ने कहा, ‘‘इस तरह की कुछ कंपनियां हैं और इनकी नियामकों के समूह द्वारा निगरानी की जा रही है।’’ सिन्हा ने कहा, ‘‘इन तरह के वित्तीय समूहों की पहचान की गई है। हालांकि, आकार के हिसाब से ये अमेरिकी संस्थानों जितने बड़े नहीं है।’’ किसी समूह की पहचान बड़े वित्तीय संस्थान के रूप में दो या अधिक बाजार खंडों में उसकी मौजूदगी के आधार पर होती है। ये कंपनियां व्यापक रूप से पांच क्षेत्रांे बैंकिंग, बीमा, प्रतिभूतियां, गैर बैंकिंग वित्त तथा पेंशन कोष क्षेत्रों से हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 30, 2013, 21:44