Last Updated: Sunday, December 15, 2013, 19:28
नई दिल्ली : एक झाडू को महज 50 सेकेंड में तिनकों में बदल देने वाली मशीन, लॉन की घास काटने वाली मशीन के ढांचे पर सिंचाई यंत्र, तीन रुपए की लागत में बोतलबंद स्वच्छ पेयजल। ये विचार और आविष्कार भारतीय कालेजों के कुछ होनहार विद्यार्थियों के हैं जो गुड़गांव के आईएसईईडी द्वारा युवाओं की उद्यमशीलता को लेकर आयोजित राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के फाइनल में पहुंचे हैं।
आईएसईईडी (इंडियन स्कूल फॉर ऑन्ट्रप्रेन्यूरशिप ऐंड इंटरप्राइज डेवलपमेंट) के पदाधिकारयों के अनुसार इस प्रतिस्र्धा का उद्देश्य आम आदमी को लाभ पहुंचाने वाले नवप्रवर्तन और उद्यमिता को उभारना एवं प्रोत्साहित करना है। संस्थान की विज्ञप्ति के अनुसार इसमें देश भर के करीब 500 कालेजों के 7,500 विद्यार्थियों ने अपने कालेजों के माध्यम से प्रविष्टियां भेजीं। इनमें से नवप्रवर्तनकारी 50 विचारों फाइनल के लिए चुना गया है। इनमें से तीन विजेता प्रविष्टियों को दो दो लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
फाइनल के आई प्रविष्टियों में आईआईटी मद्रास के विद्यार्थियों की एक टीम ने तीन रुपए में बोतलबंद पेयजल की तकनीक का प्रदर्शन किया है। गुड़गांव के द्रोणाचार्य कालेज आफ इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों की एक टीम भाव भंगिमा से कंप्यूटर परिचालन की प्रौद्योगिकी पर काम कर रही है तो दिल्ली टेक्नोलिजकल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने सोलर कार प्रौद्योगिकी पर कार्य किया है।
आईएसईईडी के मुख्यकार्यकारी एवं सह संस्थापक संजीवा शिवेश ने कहा, ‘ छात्रों की उद्यमिता के विचार रोमांचकारी है। हमारा मानना है कि देश तभी तरक्की करेगा जब हम युवाओं के साथ मिल कर नव प्रवर्तन और उद्यमशीलता की संस्कृति मजबूत करें।’ विजेताओं के चयन के लिए गठित समिति में एंजिल फंड योर नेस्ट के एमडी सुनील गोयल, फिडिलिटी इंडिया के नितिन सेठ, जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी के डीन पीके गोयल शामिल हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार संस्थान फाइनल के लिए छांटी गयी प्रविष्टियों से संबंधित युवाओं को अपने यहां के ‘मेंटरिंग’ कार्यक्रमों में शामिल करने के अलावा उन्हें अपने प्रोजेक्ट को आगे बढाने के लिए धन की व्यवस्था कारने में भी मदद करेगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 15, 2013, 19:28