सुब्रत रॉय की जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अभी जेल में ही रहेंगे

सुब्रत रॉय की जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अभी जेल में ही रहेंगे

सुब्रत रॉय की जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अभी जेल में ही रहेंगेज़ी मीडिया ब्‍यूरो/बिमल कुमार

नई दिल्‍ली : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। इस अर्जी के खारिज रहने के बाद सुब्रत रॉय को अभी जेल में ही रहना होगा। गौर हो कि सुब्रत रॉय 4 मार्च से जेल में हैं। सहारा प्रमुख को हिरासत में रखने के आदेश को बरकरार रखते हुए न्यायालय ने समूह से कहा कि वह जमानत लेने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये जमा कराने का नया प्रस्ताव तैयार करे।

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने निवेशकों का धन न लौटाने के कारण उच्चतम न्यायालय द्वारा खुद को हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी थी। न्यायालय ने कहा कि हमें याचिका में कोई तथ्य नहीं मिला और हम इसे खारिज करते है। हमने कड़ा रूख तब अपनाया जब रकम लौटाने के लिए समूह को समझाने के हमारे सारे प्रयास नाकाम हो गए। न्यायालय ने कहा कि राय और समूह ने हमारे आदेशों का व्यवस्थित रूप से अनुपालन नहीं किया। तथ्यों से पता चलता है कि समूह ने उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और एसएटी (प्रतिभूति अपीली पंचाट) के सभी आदेशों का उल्लंघन किया।

न्यायालय ने कहा कि न्यायिक आदेशों के उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती। हमारे आदेशों की अवमानना से कानून की बुनियाद प्रभावित होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसे आचरण की निंदा करते हैं क्योंकि हमारे आदेश का पालन करना अनिवार्य है। राय जेल में ही रहेंगे। न्यायालय ने उनसे निवेशकों की रकम जमा करने के बारे में नया प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा है। न्यायालय ने सहारा का यह तर्क खारिज कर दिया कि उसने निवेशकों का धन लौटा दिया है। न्यायालय ने कहा कि इसे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायालय ने कहा कि राय की हिरासत वैध है और हमने उन्हें जेल भेजने से पहले सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि सहारा की ओर से निवेशकों के पैसे लौटाने के प्रस्‍ताव यानी कैश रिफंड को सही नहीं माना जा सकता है। ऐसे में निवेशकों की रकम लौटाने को लेकर सहारा एक नया प्रस्‍ताव सौंपे।

गौर हो कि सुब्रत राय की याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। राय ने इस याचिका में सेबी के पास निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपये जमा कराने के न्यायिक आदेश का पालन नहीं करने पर उन्हें जेल भेजने के निर्णय को चुनौती दे रखी है। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ इस याचिका पर फैसला सुनाएगी। इस खंडपीठ ने इस याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई पूरी कर ली थी।

न्यायालय चार मार्च से न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत राय और दो निदेशकों की रिहाई के लिये दस हजार करोड़ रुपये के भुगतान संबंधी सहारा के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले यह शर्त रखी थी कि यदि दस हजार करोड़ रुपये में से पांच हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी और पांच हजार करोड़ रुपये नकद जमा कराए जाएं तो राय को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा। राय और सहारा समूह के दो निदेशक निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये सेबी के पास जमा कराने के शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

वहीं, सहारा समूह ने अपने स्वामित्व वाली संपत्तियों का विवरण न्यायालय में पेश किया। सहारा समूह ने अनुरोध किया है कि राय को तत्काल रिहा किया जाए ताकि वह शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल करने के इरादे से धन की व्यवस्था के लिये लोगों से बातचीत कर सकें। समूह ने पिछले साल 21 नवंबर से उसके बैंकों के खातों पर लगी रोक भी खत्म करने का अनुरोध किया। राय ने इससे पहले कहा था कि निवेशकों का बीस हजार करोड़ रुपये सेबी के पास जमा नहीं कराने के कारण उन्हें हिरासत में रखने का शीर्ष अदालत का आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने इस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया था।

First Published: Tuesday, May 6, 2014, 11:06

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