बिजली सब्सिडी तो राज्यों का विशेषाधिकार है : सिंधिया

बिजली सब्सिडी तो राज्यों का विशेषाधिकार है : सिंधिया

बिजली सब्सिडी तो राज्यों का विशेषाधिकार है : सिंधियाज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकारें समाज के कुछ वर्गों को बिजली सब्सिडी उपलब्ध करा सकती हैं, लेकिन उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि इसका वितरण कंपनियों की आय पर प्रतिकूल असर ना पड़े। बिजली सब्सिडी से कंपनियों की कुल कमाई पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए।

अपने मंत्रालय के कामकाज और उपलब्धियों के बारे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा, `यह राज्य सरकार का यह विशेष अधिकार है कि वह बिजली शुल्क दरों पर कुछ ग्राहकों को सब्सिडी दे सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) के राजस्व पर इसका असर नहीं होना चाहिए। दिल्ली की निजी वितरण कंपनियों की कैग से आडिट के सवाल पर सिंधिया ने कहा, `यदि किसी ने कोई गलती या गड़बड़ी नहीं की है तो उसे जांच से घबराना नहीं चाहिए।`

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 400 यूनिट प्रति महीने तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए शुल्क दर में 50 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की है। मुंबई में कांग्रेस नेता संजय निरूपम तथा प्रिया दत्त ने भी ऐसी ही कटौती की मांग की है।

सिंधिया ने कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन इस ओर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए कि बिजली क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निजी निवेश हो। बिजली उत्पादन में निजी कंपनियां बड़ी भूमिका निभा रही हैं। बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की पुरजोर वकालत करने वाले केंद्रीय बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बिजली दरों को कम करने के लिए मुंबई में कांग्रेस सांसदों द्वारा चलाए गए आंदोलन का समर्थन किया। बिजली दरों में कमी लाने के लिए संजय निरूपम और प्रिया दत्त द्वारा मुंबई में किए गए प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा कि जनता की आवाज उठाना जनप्रतिनिधियों का काम होता है।

पूरे देश में समान बिजली दर तय करने में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से इनकार करते हुए सिंधिया ने कहा कि बिजली दरें तय करने के लिए केंद्र में केंद्रीय बिजली नियामक आयोग और राज्यों में राज्य बिजली नियामक आयोग है। नियामक संगठन जो भी दर तय करती है बिजली कंपनियों को उसका पूरा भुगतान होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि बिजली दर पर सब्सिडी का भुगतान राज्य सरकारों को अपने खाते से करना चाहिए। उसे बिजली कंपनियों पर नहीं थोपा जाना चाहिए।

सिंधिया ने यह भी कहा कि यदि महंगी गैस से बिजली का उत्पादन किया जाता है तो ऐसी महंगी बिजली का खरीदार नहीं मिलेगा। सरकार ने 1 अप्रैल 2014 से देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस का दाम तय करने के नये फार्मूले को मंजूरी दी है जिसके अनुसार गैस का दाम बढ़कर 8.4 डालर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) हो जाएगा। बिजली मंत्री ने कहा कि विद्युत क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये उनका मंत्रालय एक माह के भीतर विद्युत अधिनियम 2003 और राष्ट्रीय शुल्क नीति में संशोधन का प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष रखेगा।

मंत्रालय की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए सिंधिया ने कहा है कि वित्‍त वर्ष 2012-13 के दौरान क्षमता में ऐतिहासिक 21 जीडब्‍ल्‍यू की अतिरिक्‍त वृद्धि और वित्‍त वर्ष 2013-14 में दिसम्‍बर 2013 तक 8700 मेगावाट से अधिक क्षमता हासिल की जा चुकी थी। देश में कुल स्‍थापित क्षमता इस समय 236 जीडब्‍ल्‍यू है। उन्होंने बताया कि बिजली की मांग को पूरा करने के लिए 2022 तक 400 जीडब्‍ल्‍यू स्‍थापित क्षमता की जरूरत पड़ेगी, जो देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

सिंधिया का कहना था कि बिजली क्षेत्र के लिए रणनीति तैयार करने का मूल मंत्र बिजली की उपलब्‍धता, उसका पर्याप्‍त मात्रा में होना और उसे वहन करने की क्षमता है। इसके लिए बिजली क्षेत्र का विकास करते समय अतिरिक्‍त क्षमता, ट्रांसमिशन और अंतिम मील तक संपर्क पर जोर दिया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि दक्षिणी ग्रिड संपर्क निर्धारित समय से तीन महीने पहले तैयार हो गया जो एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है। 765 केवी की रायचूर-शोलापुर ट्रांसमिशन लाइन ने 31 दिसम्‍बर, 2013 को काम शुरू कर दिया। इसके साथ ही बिजली प्रणाली ने एक नये युग में प्रवेश किया यानी एक राष्‍ट्र, एक ग्रिड, एक फ्रीक्‍वेंसी। उन्‍होंने बताया कि देश में अगले 4 से 5 वर्ष में दुनिया की सबसे बड़ी ट्रांसमिशन क्षमता स्‍थापित हो जाएगी।

सिंधिया ने बताया कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का 12वीं योजना और 13वीं योजना में विस्‍तार किया गया है और इसमें 100 से अधिक की आबादी वाली घरों को शामिल किया गया है। 13वीं योजना में इसे पूरा करने के लिए 35000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा की मंजूरी दी गई है।

कोयला क्षेत्र को गैस की आपूर्ति करने के बारे में उन्‍होंने बताया कि उर्वरक क्षेत्र को घरेलू गैस की आपूर्ति करने के सरकार के नवीनतम फैसले के बाद, करीब 9 एमएमएससीएमडी की अतिरिक्‍त गैस अगले तीन वर्ष में बिजली क्षेत्र के लिए उपलब्‍ध होगी। उन्‍होंने गैस की कमी पर चिंता व्‍यक्‍त की।

बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति के बारे में उन्‍होंने बताया कि ढाई महीने के रिकॉर्ड समय में कुल निर्धारित 87 जीडब्‍ल्‍यू में से 72 जीडब्‍ल्‍यू कुल क्षमता के साथ 157 एफएसए पर हस्‍ताक्षर एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है। उन्‍होंने बताया कि ओडिशा, यूएमपीपी के लिए 9 और चेयूर (तमिलनाडु) के लिए 8 आवेदन प्राप्‍त हुए हैं, जिसके लिए 26 फरवरी, 2014 को बोली लगाई जाएगी।

जम्‍मू-कश्‍मीर के लद्दाख क्षेत्र को जल्‍दी ही राष्‍ट्रीय ग्रिड से जोड़ा जाएगा, क्‍योंकि श्रीनगर और लेह के बीच ट्रांसमिशन परियोजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है। इससे लेह और कारगिल के सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को सर्दियों में अधिक बिजली मिल सकेगी। श्री सिंधिया ने बताया कि उनका मंत्रालय पर्यावरण और वन मंत्रालय के साथ तेजी से काम कर रहा है।

First Published: Thursday, January 16, 2014, 19:18

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