Last Updated: Tuesday, October 29, 2013, 22:54
नई दिल्ली : वोडाफोन ने भारतीय इकाई में अपनी हिस्सेदारी शतप्रतिशत करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति मांगी है। ब्रिटेन की दिग्गज मोबाइल कंपनी वोडाफोन पीएलसी भारतीय अनुषंगी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 100 प्रतिशत करेगी और इसके लिए वह 10,141 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
इससे पता चलता है कि भारत में कर विवाद तथा सुस्त कारोबारी माहौल के बावजूद भारत को लेकर कंपनी का उत्साह बना हुआ है। वोडाफोन ने वोडाफोन इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास आवेदन किया है। फिलहाल उसकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय इकाई में 84.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एफआईपीबी की मंजूरी के बाद यह मामला मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) के पास जाएगा। सीसीईए की मंजूरी के बाद वोडाफोन इंडिया पहली ऐसी मोबाइल आपरेटर हो जाएगी, जिसका पूर्ण स्वामित्व किसी विदेशी कंपनी के पास होगा। सरकार ने अगस्त में विदेशी दूरसंचार कंपनियों को भारत में अपने कारोबार में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी थी। इससे पहले यह सीमा 74 फीसद रखी गई थी।
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, वोडाफोन इस बात की पुष्टि करती है कि उसने एफआईपीबी के समक्ष वोडाफोन इंडिया प्राइवेट लि. (वीआईएल) में अपनी हिस्सेदारी 64.38 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की अनुमति मांगी है।
वोडाफोन ने 2007 में हचिसन एस्सार में हांगकांग की कंपनी हचिसन की हिस्सेदारी 11 अरब डालर में खरीद कर भारत में प्रवेश किया था। वोडाफोन इंडिया में उसकी सीधी हिस्सेदारी 64.38 फीसद है। वोडाफोन को इस अधिग्रहण पर 11,200 करोड़ रपये का कर, ब्याज सहित अदा करने को कहा गया था। फिलहाल उसकी सरकार के साथ इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है।
ब्रिटेन की यह कंपनी वोडाफोन इंडिया के मौजूदा अल्पांश निवेशकांे की हिस्सेदारी खरीदेगी। इनमें अरबपति उद्योगपति अजय पिरामल भी शामिल हैं जिनके पास कंपनी की 11 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 25 प्रतिशत हिस्सेदारी उन अल्पांश शेयरधारकांे के पास है जिनके नाम का खुलासा नहीं हुआ है। इनमें संभवत: वोडाफोन इंडिया के चेयरमैन अनलजीत सिंह भी शामिल हैं।
दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने कहा कि उसने हमेशा से कारोबार और योजना में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की बात की है। इस निवेश से वोडाफोन की भारत के प्रति दीर्घावधि की प्रतिबद्धता का पता चलता है।
वोडाफोन ने कहा, इस प्रस्तावित सौदे से देश में लगभग 10,141 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आएगा। यह सौदा पूरा होने के बाद वीआईएल के शेयर खरीद कर उसे और पूंजी देने पर विचार करेगी।
दूरसंचार कंपनी ने कहा, वोडाफोन भारत में निवेश करना जारी रखेगी, जिससे देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मोबाइल संचार और वित्तीय समावेशी का लाभ पहुंचाया जा सके। वोडाफोन पीएलसी के वैश्विक राजस्व में वोडाफोन इंडिया का योगदान पांचवे नंबर पर है। भारत में मोबाइल ग्राहकों की संख्या के हिसाब से वोडाफोन दूसरे स्थान पर है।
नए नियमों के तहत भारतीय बाजार में अकेले चलने के लिए आवेदन करने वाली वोडाफोन पहली आपरेटर है। इसके जरिये विदेशी दूरसंचार कंपनियों को भारत में अपने पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई रखने की अनुमति होगी।
जिन अन्य दूरसंचार कंपनियों में विदेशी दूरसंचार कंपनियों की बहुलांश हिस्सेदारी है उनमें सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज, यूनिनॉर व एयरसेल शामिल हैं। वोडाफोन भारतीय भागीदारों की हिस्सेदारी खरीदना चाहती है जिससे उसे यहां आगे निवेश करने में आसानी हो। वीआईएल के प्रबंध निदेशक व सीईओ मार्टिन पीटर्स ने इससे पहले कहा था कि वास्तव में (निवेश में) भारतीय हिस्सेदारों की अड़चन है। क्योंकि यदि आप इक्विटी लाकर कंपनी के बही खाते को मजबूत करना चाहते हैं, तो आपके भागीदार को भी इक्विटी लानी होगी, जो एक मुश्किल रास्ता है। वोडाफोन इंडिया ने अपने दूरसंचार नेटवर्क के विस्तार पर सालाना 4,000 से 6,000 करोड़ रपये का निवेश करने की योजना बनाई है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 29, 2013, 22:54