Last Updated: Monday, June 9, 2014, 19:24
नई दिल्ली : उच्च मुद्रास्फीति तथा कर्ज पर उंची ब्याज दर के दुश्चक्र को तोड़ने की नयी सरकार की प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि जमाखोरी तथा काला बाजारी रोकने के लिये कड़े उपाय किये जाएंगे और विशेष अदालतें गठित की जाएंगी। जेटली ने साथ ही जिंस कानूनों की समीक्षा की बात भी कही है।
राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ आज यहां बजट पूर्व बैठक के दौरान उन्होंने कहा, लंबे समय से महंगाई दर उंची रहने के कारण आम आमदी की भोजन एवं पोषण सुरक्षा प्रभावित हुई है। हम उच्च मुद्रास्फीति तथा उंची ब्याज दर के इस दुश्चक्र को तोड़ने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
गौरतलब है कि मुद्रास्फीति उंची रहने के कारण रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज दर में कमी करना मुश्किल हो रहा है। आरबीआई गवर्नर रघुराम जी राजन ने तीन मई को द्वैमासिक मौद्रिक नीति में रेपो दर को (जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी नकदी उधार देता है) आठ प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। राजन ने कहा था कि नीतिगत ब्याज दर में कमी मुद्रास्फीति में गिरावट पर निर्भर करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक वृद्धि में नरमी के साथ उच्च मुद्रास्फीति दबाव से अर्थव्यवस्था के समक्ष कठिनाई पैदा होती है। पिछले दो वर्ष से आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत से नीचे है तथा उद्योग जगत कर्ज सस्ता करने की मांग कर रहा है। जेटली ने कहा, ..कुछ राज्य हैं जहां मजबूत आर्थिक वृद्धि हो रही है। लेकिन यह साफ है कि समग्र वृद्धि कम है और इसका समाधान समन्वित प्रयास से किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 2014 का जनादेश स्पष्ट रूप से यह कहता है कि आर्थिक वृद्धि से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता और यदि हमें युवा आबादी का लाभ उठाना है, उच्च आर्थिक वृद्धि दर अनिवार्य शर्त है।
वितत मंत्री ने कीमत में अस्थायी उतार-चढ़ाव से निपटने के लिये राज्यों से समर्थन की मांग की। उन्होंने कहा, हम ऐसी प्रणाली तैयार करना चाहेंगे जो आपूर्ति बाधाएं पैदा करने वाले ढांचागत मुद्दों का समाधान करे। हमें अनिवार्य जिंस कानून पर गौर करने की जरूरत है और जमाखोरी तथा काला बाजारी रोकने के लिये कड़े उपाय तथ विशेष अदालत गठित करने की आवश्यकता है। जेटली ने कहा कि एकल कृषि बाजार की जरूरत है। साथ ही किसानों तथा उपभोक्ताओं को कीमतों के बारे में ताजी सूचना मिले, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। आर्थिक एकीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर एक लंबित मामला है जिसपर सहमति बनाने की जरूरत है।
जेटली ने कहा, जीएसटी के क्रियान्वयन से वृद्धि की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार की संभावना है..कुछ जटिल मुद्दे हैं जिसका समाधान करने की जरूरत है और उम्मीद है कि इनका जल्दी ही निपटान कर लिया जाएगा। इससे पहले, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति को काबू में करना नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के एजेंडे में उपर है।
विभिन्न पक्षों के साथ बजट-पूर्व बैठक कर रहे अरूण जेटली ने कहा कि यह नई सरकार की नीति ‘टीम इंडिया’ की है और इसका मतलब है कि केंद्र सरकार वृद्धि में राज्यों को साझा सहयोगी के रूप में शामिल करेगी। उन्होंने कहा, आज की बैठक में हुई चर्चा से सरकार को संसद में पेश किये जाने वाले बजट से पहले बजट प्रस्तावों को तैयार करने में मदद मिलेगी। हाल के आंकड़ें का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल बहुत ही खराब रहा है और निवेश चक्र प्रभावित हुआ है।
जेटली ने कहा, नकारात्मक धारणा से व्यापार, होटल तथा परिवहन क्षेत्र प्रभावित हुए..। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में नरमी के साथ उच्च मुद्रास्फीतिक दबाव से अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती है। जेटली ने कहा कि कर संग्रह जीडीपी का 10 प्रतिशत है जबकि शुरूआती बजट अनुमान में इसके 10.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय विकास का माडल तैयार करने को लेकर प्रतिबद्ध है जो राज्यों द्वारा चालित है। हमारा इरादा इसे हासिल करने में राज्यों को जरूरी लचीलापन प्रदान करना है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में उन्होंने कहा कि वास्तविक रूप से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये कानून को लागत प्रभावी तथा कुशल तरीके से क्रियान्वित करना समय की मांग है।
उन्होंने महंगाई से गरीबों को राहत देने के लिये प्रभावी जनवितरण प्रणाली की अहमियत के साथ प्रभावी तरीके से अनाज के वितरण के लिये भारतीय खाद्य निगम का पुनर्गठन पर जोर दिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि अनाज की विकेन्द्रित खरीद खाद्यान प्रशासन के लिये एक वैकल्पिक और ज्यादा प्रभावी माडल उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि पटरी पर लायी जा सकती है।
जेटली ने राज्य के वित्त मंत्रियों से कहा, हमें बड़ा सोचना है और बुनियादी ढांचा तैयार करना है जो आने वाले वषरें में बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा कर सके। ढांचागत क्षेत्र में वृद्धि से सीमेंट, इस्पात तथा बिजली आदि जैसे क्षेत्र मौजूदा नरमी से बाहर आएंगे और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा।
उन्होंने कहा, यह राज्यों के सहयोग के बिना अकेले केंद्र सरकार नहीं कर सकती। हमारे उद्योग को आधुनिक रूप देने के लिये इसी प्रकार के रूख की जरूरत है। हमें भारत को अब वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनना है, केवल विदेशों के औद्योगिक सामानों का बाजार बने रहने से काम नहीं चलेगा। वित्त मंत्री ले कहा कि भारत अब ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां हम जबतक बेहतर शिक्षा के साथ उसकी पहुंच तथा स्वास्थ्य की गुणवत्ता नहीं सुधारते तबतक बढ़ती युवा आबादी का लाभ का कोई मतलब नहीं होगा।
उन्होनें कहा, हमारा मानना है कि न केवल शिक्षा की पहुंच ही नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता भी सुधारनी होगी। साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती दर पर उपलब्ध करानी होगी। हम सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा सभी के लिये स्वास्थ्य देखभाल का लक्ष्य हासिल करने के लिये आपके समर्थन की मांग करता हूं। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बारे में जेटली ने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्यों को ज्यादा स्वायत्ता देने के मद्देनजर, यह निर्णय किया गया है कि इस प्रकार की योजनाओं के लिये कोष राज्य सरकारों के जरिये ही जाएगा।
(एजेंसी)
First Published: Monday, June 9, 2014, 19:24