अंडर-18 की बदमाश कंपनी

अंडर-18 की बदमाश कंपनी

अंडर-18 की बदमाश कंपनीक्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया
हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, अपहरण जैसे अपराधों की कितनी सजा हो सकती है? आप कहेंगे एक साल, दो साल, तीन साल या फिर उम्र कैद लेकिन बाल अपराधियों के लिए यह सजा महज पंद्रह दिन से लेकर तीन साल तक ही हो सकती है। देश में बाल अपराधियों के लिए कानून इतने कमजोर हैं कि हर साल देश में बाल अपराधियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।

‘हाथ छोड़, चाचा हाथ छोड़, कांस्टेबल है तो क्या हो गया। हमारी एसीपी डीसीपी कुछ नहीं कर सकता तो कांस्टेबल क्या करेगा।’ यह बयान दक्षिण दिल्ली में खौफ फैलाने वाले एक बाल अपराधी की है। फायर गैंग के नाम से मशहूर इस गैंग के सरगना लतीफ को मालूम है कि उसके अधिकार क्या हैं। दक्षिण दिल्ली की सरकारी कॉलोनियों में इस गैंग ने न जाने कितनी वारदातों को अंजाम दिया। पहले ताला तोड़कर घर में दाखिल होना और उसके बाद घर पर हाथ साफ करने के बाद घर को आग के हवाले कर देना। घरों में चोरी कर आग लगा देना इस गैंग का सिग्नेचर मार्क बन गया था। इसी वजह से इसका नाम पड़ा था फायर गैंग। दक्षिण दिल्ली की सरकारी कॉलोनी के वाशिंदे इस बाल अपराधी के नाम से ही खौफ में आ जाते। पुलिस पकड़ भी लेती है तो यह बाल अपराधी पुलिसवालों को धमकाने लगता है। कहता है, ‘दस साल का एक्सपीरियेंस है, आईओ तुम ही बनोगे।’

पुलिस बार-बार फायर गैंग के सरगना को पकड़ती है लेकिन वह हर बार बच्चों के लिए बने ऑब्जर्वेशन होम से फरार हो जाता। लतीफ न केवल खुद भागता है बल्कि साथ ही दूसरे बाल अपराधियों को भी अपने साथ लेकर फरार हो जाता है। पुलिस के पकड़ने के बाद लतीफ जैसे बाल अपराधियों को ऑब्जर्वेशन होम की दीवारें दो चार दिन तक ही रोक पाती हैं।
‘अभी पांच दिन में बाहर निकला हूं। नौ को गया था 14 को बाहर निकला हूं’ लतीफ अब 18 साल की उम्र पार कर चुका है और फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है लेकिन 18 साल से पहले उसने लगातार चोरी और आगजनी की वारदातों को अंजाम दिया था। लतीफ इस बात को बखूबी समझता था कि 18 साल तक कानून उसके लिए कितना कमजोर है।

‘सेंट्रल नहीं भेज सकते, अभी अठारह का नही हुआ हूं।’
‘मजिस्ट्रेट के पास से भागूंगा तो तिहाड़ नहीं जाउंगा।’

लतीफ जैसे न जाने कितने बाल अपराधी दिल्ली में हैं और वह लगातार खौफनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बाल अपराधी पकड़े जाने के बाद जेल नहीं जाते तो जाते कहां हैं। किसी भी अपराध के लिए पकड़े गए नबालिग को सुधारने के लिए बाल सुधार गृह भेजा जाता है लेकिन यहां से यह बाल अपराधी अक्सर फरार हो जाते हैं और जाते-जाते अपने पीछे छोड़ जाते है तबाही का मंजर ब्लास्ट सिलेंडर, टूटे पड़े लोहे के दरवाजे, टूटा हुआ सोलर पैनल, जले हुए दफ्तर। ये बाल अपराधी खुलेआम पुलिस को चुनौती देते हैं यह तबाही फैलाते हैं। पलक झपकते ही अपराध को अंजाम दे देते हैं। इन अपराधियों को भागने से कोई दीवार नहीं रोक पाती है क्योंकि यह है अंडर-18 की बदमाश कंपनी।

हर तरफ तबाही का यह मंजर है। दिल्ली के मुखर्जी नगर के बाल सुधार गृह का 5 अक्टूबर की रात को यहां से 33 बाल अपराधी भाग गए थे। इस सुधार गृह में 5 अक्टूबर की रात 8.30 बजे शुरू हुई आगजनी और तोड़फोड 6 अक्टूबर की सुबह साढ़े तीन बजे तक चली। बाल अपराधियों ने पहले बाल सुधार गृह के अंदर तोड़फोड़ शुरू की। फिर उन्होंने बिजली की तारों से कपड़ों में आग लगा दी। एक के बाद एक बाल अपराधियों ने बाल सुधार गृह में रखे तीन सिलेंडरों में आग लगा दी और दीवार तोड़कर छत पर चढ़ गए। पुलिस और बाल सुधार गृह के अधिकारी बाहर खड़े होकर यह तमाशा देखते रहे। वजह थी बाल कानून जिसमें बच्चों पर सख्ती करने की मनाही है। बाल अपराधियों ने सुधार गृह के सुपरिटेंडेंट के कमरे में रखी तिजोरी को भी नहीं छोड़ा और उसमें से भी पैसे लूट दफ्तर को आग के हवाले कर दिया जिसमें रखे तमाम रिकार्ड जलकर खाक हो गए। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बाल अपराधी अपने- अपने गैंग चला रहे हैं।

बाल सुधार गृह के अधिकारियों की मानें तो यहां आने वाले बच्चों के सुधरने के आसार बेहद कम होते हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली में बाल अपराधियों के करीब 60 गैंग काम कर रहे हैं। ये अपराधी हत्या, लूट, बलात्कार जैसी जघन्य वारदातों में शामिल हैं। झपटमारी की सबसे ज्यादा वारदातें बाल अपराधी ही अंजाम देते हैं। दो साल पहले गुड़गांव के भोंडसी जेल में बंद अपराधी और एक बाल अपराधी के बीच टैप की गई बातचीत में खुलासा हुआ था कि पेशेवर अपराधी नाबालिगों का इस्तेमाल अपने दुश्मनों के खात्मे के लिए करते हैं। दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो पेशेवर अपराधी बाल अपराधियों के कंधे पर रखकर ही अपनी बंदूक चलाते हैं और खौफनाक वारदातों को अंजाम देते हैं। केवल दिल्ली की बात करें तो साल 2012 में बाल अपराधियों ने 250 से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया है जिसमें हत्या की 60 वारदातें शामिल हैं।

First Published: Thursday, October 24, 2013, 22:57

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