Last Updated: Thursday, October 31, 2013, 00:31

पटना में रेलवे स्टेशन से लेकर गांधी मैदान के आस पास हुए धमाकों से भी लगता है कि किसी ने कोई खास सबक नहीं लिया एक ओर आतंकी जहाँ ताबड़ तोड़ विस्फोट को अंजाम दे रहे हैं वहीं सुरक्षा बंदोबस्त अभी भी नाकाफी हैं। देश की राजधानी दिल्ली के रेलवे स्टेशन जो हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रहे है वहाँ भी सुरक्षा की अनदेखी कि जा रही है। एक स्टिंग ऑपरेशन से यह पता चलता है कि इन स्टेशनों पर सुरक्षा इंतजाम न के बराबर दिखा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बेरोकटोक दाखिल होता एक शख्स को किसी ने नहीं रोका, किसी ने नहीं टोका, इसका बैग भी स्कैनर से होकर नहीं गुजरा। हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन यहां भी बेखौफ दाखिल हुआ एक शख्स और बेपरवाह बने रहे पुलिस वाले CCTV के सामने घंटों पड़ा रहा एक लावारिस बैग। पुलिसवालों ने देखकर भी किया अनदेखा। आनंद विहार रेलवे स्टेशन एक्सरे मशीन भी थी और मेटल डिटेक्टर भी, लेकिन गायब थे सिक्योरिटी कर्मचारी। यहां भी बिना जांच के दाखिल हुआ एक शख्स। ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन कूड़ेदान के पास घंटों पड़ा रहा एक लावारिस बैग। स्टेशन से बिना चेकिंग के घूमता रहा एक शख्स।
क्राइम रिपोर्टर ने कैसे खोली दिल्ली-एनसीआर के स्टेशनों में सिक्योरिटी इंतजामों की पोल। एक शख्स के बैग में बम हो सकता था। ये शख्स आतंकवादी भी हो सकता था। जरा सोचिए, अगर स्टेशन पर सुरक्षा के इतने लचर इंतजाम हैं तो कितने महफूज हैं आप? राजधानी का सबसे व्यस्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, यहां सिक्योरिटी इंतजाम का जाय़जा लेने पहुंचा अंडर कवर एजेंट। मुसाफिरों की इसी भीड़ में रास्ता बनाते हुए वो भी स्टेशन में दाखिल हो गया। सिक्योरिटी के लिहाज से यहां स्कैनर और मेटल डिटेक्टर दोनों का इंतजाम है। दोनों मशीनें ठीक से काम भी कर रही हैं लेकिन हैरानी का बात ये थी कि यहां किसी ने भी टीम को चेक करने की जहमत नहीं उठाई। बैग को बिना स्कैनर से गुजारे ही अंडर कवर एजेंट स्टेशन में दाखिल हो गया। यहां तैनात किसी भी सुरक्षाकर्मी ने उनसे कोई सवाल नहीं पूछा। कूड़ेदान के पास अंडर कवर एजेंट ने ठीक सीसीटीवी के सामने अपना टिफिन से भरा बैग लावारिस हालत में छोड़ दिया। ये बैग काफी देर तक यहां पड़ा रहा लेकिन सीसीटीवी की मॉनीटरिंग करने वाला कोई कर्मचारी यहां पूछताछ करने नहीं आया। साफ है कि सीसीटीवी की या तो मॉनीटरिंग ही नहीं की जा रही थी और अगर मॉनीटरिंग हो भी रही हो तो इस काम में लापरवारही बरती जा रही थी। जाहिर है कि जिस तरह अंडरकवर एजेंट ने अपना बैग लावारिस छोड़ा उस तरह कोई आतंकी भी स्टेशन को दहलाने का सामान यहां छोड़ सकता था।
अगर बैग में बम होता तो? स्टेशन पर लावारिस पड़ी चीजों को ना छूने और पुलिस को इत्तिला करने की सूचना तो बार-बार दी जाती है, लेकिन उसका असर क्या होता है ये स्टेशन पर जाकर देखने को मिला। करीब आधे घंटे तक अंडर कवर एजेंट के साथ ही हमारी टीम ने इस बात का इंतजार किया कि कोई तो आये और लावारिस पड़े बैग के बारे में पूछताछ करे। लेकिन जब कोई नहीं आया तो हमने बैग उठाया और स्टेशन से बाहर की तरफ चल पड़े। हैरानी की बात तो ये है कि जब हम लौट रहे थे उस वक्त भी सुरक्षाकर्मी अपनी जगहों से नदारद थे। जाहिर है कि अगर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा का ऐसा ही इंतजाम है तो यहां आने वाले मुसाफिरों की सुरक्षा को भगवान भरोसे ही कहा जा सकता है। नई दिल्ली के सिक्योरटी इंतजाम का जायजा लेने के बाद क्राइम रिपोर्टर का अगला पड़ाव था दिल्ली का निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन। हमें उम्मीद थी कि यहां सब कुछ ठीक होगा लेकिन लापरवाही और अनदेखी के मामले में ये स्टेशन भी कुछ नहीं। दिल्ली का निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन जहां से हजारों यात्रियों का सफ़र रोज़ाना शुरू होता है। लोग महफूज रहें और सुरक्षित अपनी मंजिल तक पहुंचे, इसके लिए स्टेशन में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। लेकिन उन इंतजाम की हकीकत ने हमें हैरान कर दिया।
स्टेशन में दाखिल होने वाले यात्रियों की चेकिंग के लिए यहां भी मेटल डिटेक्टर और स्कैनर लगाए गए हैं। लेकिन अंडर कवर एजेंट बिना मेटल डिटेक्टर से गुजरे और अपना बैग स्कैन करवाए बगैर ही रेलवे स्टेशन में दाखिल हो गया। ना ही उसे किसी ने रोका, ना टोका। जिन सुरक्षाकर्मियों पर यात्रियों की जांच-पड़ताल का जिम्मा था, उनके पास आपस में बातचीत करने के लिए तो वक्त था, लेकिन सिक्योरिटी चेकिंग के लिए नहीं। प्लेटफार्म पर दाखिल होते ही अंडर कवर एजेंट की नजर सीसीटीवी कैमरे पर पड़ी और उसने जानबूझकर अपना बैग सीसीटीवी के सामने वाली जगह पर लावारिस हालत में छोड़ दिया। अब इंतजार था कि सीसीटीवी मॉनिटर कर रहा कोई कर्मचारी यहां आए और बैग के बारे में पूछताछ करे। लेकिन 25 मिनट तक ये बैग यहीं पर पड़ा रहा। ना ही बैग के बारे में कोई पूछने आया और ना ही किसी सुरक्षाकर्मी ने उस पर ध्यान देने की जहमत उठाई। दिल्ली के दो अहम स्टेशनों में सुरक्षा इंतजाम की इतनी बड़ी चूक का ये आलम तब है, जब पटना बम धमाकों की गूंज अभी तक शांत नहीं हुई है।
First Published: Thursday, October 31, 2013, 00:29