आईएम ने बदल लिया है अपना टेरर प्लान!

आईएम ने बदल लिया है अपना टेरर प्लान!

आईएम ने बदल लिया है अपना टेरर प्लान!क्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया

बदलते वक्त और तकनीक के साथ-साथ इंडियन मुजाहिदीन भी खुद को बदल रहा है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि जोरदार धमाका कर भारी तबाही मचाने की जगह आतंकियों ने अब अपना नया टेरर प्लान लो इनटेनसिटी के ब्लास्ट करने का बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक आईएम ने पटना में मोदी की रैली से पहले जानबूझकर लो इंटेनसिटी के धमाके किए ताकि आसानी से लोगों के बीच भगदड़ मचाया जा सके और दहशत का माहौल बनाया जा सके।

जानकारों के मुताबिक भारी नुकसान पहुंचाने वाले बमों को तैयार करने और टार्गेट तक पहुंचाने के मुकाबले छोटे बमों से धमाका कराना ज्यादा आसान है। गया के महाबोधि मंदिर और फिर पटना में हुए धमाके इस बात की तस्दीक करते हैं।जानकारों का कहना है कि इंडियन मुजाहिदीन सियासत में एक्टिव बड़े नेताओं को भी निशाना बनाने की कोशिश में है।

सूत्रों का दावा है कि खुद आईएम के सरगना यासीन भटकल ने भी पकड़े जाने के बाद सियासी चेहरों को निशाना बनाने की बात कबूल की थी। जानकारों का कहना है कि राजनीति से जुड़ी किसी बड़ी हस्ती को निशाना बनाने के बाद कोई भी संगठन रातों-रात दुनिया भर में चर्चा में आ जाता है। इसीलिए आईएम भारत के बड़े सियासी नेताओं को टारगेट कर रही है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत नेपाल बोर्डर की सीमा पर किसी तरह का रोकटोक न होने की वजह से आतंकी बिना किसी खतरे का सामना किये ही आसानी से भारत में घुस जाते हैं और फिर यहां साजिशों को अंजाम देते हैं। इसलिए सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए।

साफ है कि दहशतगर्दों ने अपना तरीका जरूर बदल लिया है लेकिन उनका मकसद अभी भी देश को तबाह करने का ही है। लो इनटेसिटी ब्लास्ट कराने की नई स्ट्रैटजी अपना कर इंडियन मुजाहिदीन ने जहां अपने स्लीपर सेल के काम को आसान कर दिया है क्योंकि इन मामूली धमाकों को कभी भी और कहीं भी थोड़ी सी ही तैयारी करके ही अंजाम दिया जा सकता है। साफ है ये नई रणनीति सुरक्षाबलों का सिरदर्द बढ़ाने वाली है इंडियन मुजाहिदीन का इरादा पूरे देश में दहशत का माहौल तैयार करने का है। उसने अलग-अलग शहरों में धमाका करने की योजना तो बनाई ही है उसके निशाने पर देश के कई बड़े नेता भी हैं।

पटना ब्लास्ट ने एक बार फिर इस बात की तस्दीक कर दी है कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी यासीन भटकल की बनाई पुरानी योजना पर ही काम कर रहे हैं। खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस आतंकी संगठन के टार्गेट पर जिन नेताओं का नाम है उनमें पहला नाम है नरेंद्र मोदी का।

एनआईए के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन किसी भी कीमत पर मोदी को अपना निशाना बनाना चाहता है और इस टारगेट तक पहुंचने के लिए उसका नेटवर्क तेजी से काम कर रहा है। जानकारों के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान यासीन भटकल ने भी नरेंद्र मोदी को निशाने बनाने की साजिश का खुलासा किया था। इस पूछताछ में भटकल ने एनआईए को बताया मुंबई में 26/11 हमले के बाद हमें विदेशों से खूब फंड मिला था। अगर हम नरेंद्र मोदी तक पहुंचने में कामयाब रहे तो पूरी दुनिया में हमारे समर्थक बढ़ जाएंगे और हमें अपने कामों के लिए पहले से कई गुना ज्यादा पैसा मिलेगा। इसीलिए हमारी टॉप हिट लिस्ट में पहले से 10वें नंबर तक बस मोदी का ही नाम है।

भटकल ने NIA को ये भी बताया था कि किसी भी रैली के दौरान मोदी पर आतंकी हमला किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक पटना ब्लास्ट के बाद पकड़े गए आतंकी इम्तियाज ने भी कबूल किया है। रैली में धमाके की वजह से मची भगदड़ का फायदा उठाकर मोदी को आत्मघाती बम से उड़ाने की साजिश रची गई थी।

जानकारों का कहना है कि आतंकी संगठनों को लगता है कि फिलहाल किसी भी दूसरे नेता की तुलना में मोदी को टार्गेट नंबर वन बनाने से उनका प्लान ज्यादा कामयाब हो सकता है। बताया जा रहा है कि आतंकी मोदी को टार्गेट कर मजहबी उन्माद भी फैलाने की कोशिश में हैं। खुफिया सूत्रों का दावा है कि आतंकी दहशत तो फैलाना चाहते ही हैं उनका इरादा इसी बहाने देश को दंगे की आग में भी झुलसा देने का है और आतंकियों की सरपरस्त ISI लंबे समय से इसी कोशिश में लगी हुई भी है।

पटना में हुए ब्लास्ट के बाद साफ हो चुका है कि इस पूरी साजिश का तानाबाना तहसीन उर्फ मोनू ने खुद तैयार किया था। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद ISI ने सोची समझी योजना के तहत उसे इंडियन मुजाहिदीन के टेरर प्लान को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इंडियन मुजाहिदीन का नया चेहरा तहसीन अख्तर वसीम उर्फ मोनू के नाम से भी पहचाने जाने वाले इस शख्स के हाथ में है इंडियन मुजाहिदीन की नई कमान।
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने भारत में होने वाले तमाम ऑपरेशन्स की पूरी जिम्मेदारी इन दिनों इसी को सौंप दी है। माना जा रहा है कि दहशत फैलाने की तकनीक में माहिर तहसीन आतंकियों की फौज खड़ी करने में भी माहिर है।

जानकारों का मानना है कि तहसीन की बिहार और झारखंड के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में अच्छी पकड़ है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक उसे इन इलाकों में इंडियन मुजाहिदीन के मजबूत स्लीपर सेल को तैयार करने के साथ ही टेरर प्लान को अंजाम देने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। साफ है कि यासीन भटकल की गिरफ्तारी से इंडियन मुजाहिदीन को झटका तो जरूर लगा है लेकिन तहसीन उर्फ मोनू के कमान संभाल लेने के बाद वो एक बार फिर दहशत के अपने प्लान को अंजाम देने की तैयारी में जुट गया है। आईएम ने बदल लिया है अपना टेरर प्लान!


आतंकियों के टेरर प्लान का पता चलते ही खुफिया एजेंसिय़ां सिक्योरिटी अलर्ट भी जारी कर देती हैं। इसके बावजूद देश के दुश्मन कई बार अपनी साजिश को अंजाम दे डालते हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि अगर चेतावनी के बाद भी ब्लास्ट होता है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? आईबी अलर्ट के बाद भी पटना में हुए एक के बाद एक 8 सिलसिलेवार धमाके। लोगों की जान तो गई ही 100 से ज्यादा लोग घायल भी हो गए खुफिया एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद बिहार पुलिस ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए। नतीजा ये हुआ कि पटना में मोदी की रैली के दौरान आतंकी काफी हद तक अपने मंसूबों में कामयाब हो गए। हर बार की तरह पुलिस ने स्पेसिफिक अलर्ट नहीं होने का बहाना भी बनाया, लेकिन आईबी ने साफ कर दिया कि उसने नरेन्द्र मोदी की रैली पर आतंकी खतरे का अलर्ट 23 अक्टूबर को ही दे दिया था।

बात सिर्फ पटना में हुए धमाकों की नहीं है। जुलाई 2013 में गया में हुए बम धमाकों का अलर्ट भी आईबी ने बिहार पुलिस को जून 2013 में ही दे दिया था। इसके बावजूद महाबोधि मंदिर में एक के बाद एक दस बम धमाके किए गए। केवल आईबी का अलर्ट ही नहीं, दिसंबर 2012 में पकड़े गए पुणे ब्लास्ट के आरोपियों ने भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को बताया था कि गया का महाबोधी मंदिर आईएम के निशाने पर है। इसके बावजूद अलर्ट की अनदेखी की गई।

अप्रैल 2013 में बेंगलुरू में बीजेपी दफ्तर के बाहर हुए धमाके का अलर्ट भी जारी किया गया था लेकिन नतीजा हमेशा की तरह सिफर ही रहा। बैंगलुरू पुलिस का कहना था कि उसे स्पेसिफिक अलर्ट नहीं मिला था। साफ है कि अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए पुलिस हमेशा इसी शब्द का सहारा लेती है। बिहार में भी यही हुआ। इतना ही नहीं, 26-11 हमले से पहले भी मुंबई पुलिस और कोस्टगार्ड को हमले के बारे में चेताया गया था, लेकिन मुंबई पुलिस सतर्क नहीं हुई। देश में हुए आतंकी हमलों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिनकी चेतावनी ख़ुफिया एजेंसियों ने पहले ही राज्य पुलिस को दे दी थी, लेकिन राज्य पुलिस हर बार जेनरल और स्पेसिफिक एलर्ट का बहाना बनाकर खुद को बचा लेती है और बचे रह जाते हैं तो मातम में डूबे वो परिवार, जो आतंकी हमलों में अपनों को खो देते हैं।

First Published: Tuesday, October 29, 2013, 23:57

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