सूटकेस में लाश की गुत्‍थी सुलझी, खून पीने वाला कातिल गिरफ्तार । Murder mystrey of dead body in suitcase resolved, murderer arrested

सूटकेस में लाश की गुत्‍थी सुलझी, खून पीने वाला कातिल गिरफ्तार

सूटकेस में लाश की गुत्‍थी सुलझी, खून पीने वाला कातिल गिरफ्तारक्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया

मुंबई में सूटकेस में मिली लाश की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। खास बात ये है कि कातिल के मासूम बेटे की ही गवाही से पुलिस इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझा पाई।

मुंबई के गोरेगांव इलाके में सूटकेस में मिली लाश की गुत्थी सात साल के बच्चे के बयान के आधार पर पुलिस ने सुलझाई। बच्चे ने अपने पिता को अब्दुल रहमान अंसारी की हत्या के बाद अपने चेहरे से खून साफ करते देखा था। बच्चे को लगा कि उसके पिता ने हत्या के बाद उसका खून पिया है। इस अकेले चश्मदीद की गवाही के बाद ही पुलिस ने जब अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाई तो कडि़यां जुड़ती गई और कत्‍ल का राज बेपर्दा हो गया। हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए पुलिस ने चश्मदीद बच्चे के पिता आलम खान समेत 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

दस दिन पहले मुंबई में हुए एक मर्डर की जो कहानी सामने आई है वो बेहद खौफनाक है। वारदात के चश्मदीद सात साल के बच्चे ने पुलिस को जो बताया है उसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। अपने घर में हुए एक कत्‍ल की ये कहानी सात साल के एक बच्चे ने मुंबई पुलिस को सुनाई है। इस मासूम ने बयां किया कि पापा के साथ उनके दो दोस्त भी थे। उन लोगों ने उस आदमी का मुंह दबा रखा था। सब मिलकर उस आदमी को मार रहे थे। पापा ने उसे मार डाला और फिर उसका खून पिया। ये सब देखकर मैं बहुत डर गया।

अपने कातिल बाप की करतूत को बेनकाब करने वाला सात साल का वो बच्चा इस केस का इकलौता चश्मदीद है। कत्ल की ये सनसनीखेज वारदात 6 अक्टूबर 2013 की है जब मुंबई के मलाड इलाके में पुलिस को एक सुनसान जगह पर पड़ा हुआ मिला था एक सूटकेस। लावारिस पड़े इस सूटकेस को देखकर पुलिस के भी कान खड़े हो गए लेकिन पास पहुंचकर जब पुलिसवालों ने सूटकेस खोला तो उनके होश उड़ गए। सूटकेस में निकली कई टुकड़ों में बंटी एक शख्स की लाश। लाश मिलने के बाद शुरू हुई कातिल की तलाश लेकिन पुलिस के पास ना ही कातिल का कोई खास सुराग था और ना ही कोई पहचान लेकिन 10 दिन बाद पुलिस कत्ल की इस सनसनीखेज वारदात को सुलझाने में कामयाब रही और कातिलों के गिरेबां तक जा पहुंच ही गये पुलिस के हाथ।

पुलिस के लिए हत्यारे तक पहुंचना आसान नहीं था। खूनी ने भी यही सोचकर लाश को टुकड़ों में बांट दिया था ताकि उसकी पहचान न हो पाए। पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए ही लाश को सूटकेस में भरकर सुनसान इलाके में फेंका गया था। इसके बावजूद कातिल की कोई भी चाल कामयाब नहीं हुई और महज दस दिन बाद ही पुलिस के हाथ हत्यारे तक जा पहुंचे। सूटकेस में लाश मिलने के बाद तफ्तीश में जुटी पुलिस की टीम के पास कोई ठोस सुराग नहीं था। पुलिस को मकतूल की पहचान भी जेब में रखे कुछ कागजातों की मदद से ही करनी थी।

आखिर किसी तरह पुलिस ने की मरने वाले की पहचान अब्दुल रहमान अंसारी के तौर पर की लेकिन उसके क़ातिल तक पहुंचने के लिए पुलिस को मिले कागजात नाकाफी थे। लिहाजा पुलिस ने अपने खबरियों का नेटवर्क एक्टिव कर दिया .फिर क्या था, कातिलों तक पहुंचने में पुलिस को ज्यादा दिन नहीं लगे। पुलिस के मुताबिक गिरफ्त में आए मोहम्मद आलम खान और सिकंदर खान आपस में रिश्तेदार हैं। आलम खान ने पुलिस को बताया कि वारदात वाले दिन उसने अब्दुल रहमान अंसारी को अपने घऱ में पार्टी के लिए बुलाया था। जहां इसका साथी सिकंदर खान पहले से मौजूद था। तय वक्त पर रहमान यहां पहुंचा और तीनों ने मिलकर शराब पीना शुरू कर दिया।

रहमान पर नशे का सुरूर चढ़ता ही जा रहा था, उसे नहीं मालूम था कि कुछ ही देर बाद उसका मौत से सामना होने वाला है। अगले ही पल आलम ने धारदार हथियार से रहमान का गला काट डाला। लेकिन रहमान को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाले आलम खान को ये नहीं मालूम था कि उसके गुनाह का हर एक पल उसके ही मासूम बच्चे की आंखों में कैद हो रहा है। कत्ल के बाद तीनों ने लाश को कई टुकड़ों में बांटा और सूटकेस में भरकर मलाड के सुनसान इलाके में फेंक दिया।
पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद पूछताछ के दौरान आलम खान और सिकंदर खान ने कत्ल की वजह का भी खुलासा कर दिया। पुलिस के मुताबिक अब्दुल रहमान अंसारी के नाज़ायज ताल्लुकात उसकी सास से थे, दोनों के बीच पनप रहे इस इस रिश्ते की भनक आलम खान को भी लग चुकी थी। अपनी सास के साथ अब्दुल खान के इस रिश्ते को आलम खान बर्दाश्त नहीं कर सका और फिर साजिश रचकर अपने साथियों की मदद से उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया।

बताया जा रहा है कि आलम खान का अब्दुल रहमान से पैसों के लेन-देन को लेकर भी कोई विवाद चल रहा था। इसके बावजूद पुलिस नाजायज रिश्ते को ही कत्ल की अहम वजह मान रही है, फिलहाल पुलिस को तलाश है इस वारदात में शामिल तीसरे शख्स की, जो फिलहाल उसकी पहुंच से दूर है।


नाजायज रिश्‍तों की आड़ में किया कत्‍ल

भाई बहन ने अपने पवित्र रिश्ते को भुलाकर बना लिया नाज़ायज रिश्ता और जब इस अवैध रिश्ते का नशा चढ़ा तो वे सही गलत का फ़र्क भी भूल गए और ऐसी ही हालत में उन्होंने उठा लिया एक ऐसा खौफनाक कदम जिसने उन्हें पहुंचा दिया सलाखों के पीछे।

टीकमगढ़ की सड़क पर एक कार हवा से बातें कर रही थी। कार में सवार था नरेंद्र यादव उर्फ रानू। उसकी बीवी का फुफेरा भाई अनिल यादव, उसके दो दोस्त कृष्णपाल और मलखान। किसी अनहोनी से अनजान नरेंद्र यादव को ये अहसास भी नहीं था कि वो जिस सफर पर आगे बढ़ रहा है वो मौत पर जाकर खत्म होता है। अचानक कार में गोली चली और जीता जागता नरेंद्र लाश में तब्दील हो गया।
टीकमगढ़ से करीब 15 किलोमीटर दूर नरेंद्र की लाश को सुनसान इलाके में फेंक कर कार आगे बढ़ गई। किसी ने यहां से गुजरते वक्त लाश देखी और फिर देखते ही देखते खासी भीड़ जमा हो गई।

थोड़ी देर में पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. लाश की पहचान होने के बाद पुलिस ने नरेंद्र की कॉल डिटेल खंगाली। पता चला कि वारदात वाले दिन नरेंद्र की अनिल से कई बार बात हुई थी। लाश मिलने से कुछ देर पहले तक दोनों का मोबाइल लोकेशन भी एक ही था। इस सुराग के आधार पर पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी अनिल और कष्णपाल को धर दबोचा। पूछताछ में पता चला कि हत्या के आरोपी अनिल के नाजायाज ताल्लुकात नरेंद्र की बीवी थे। खास बात ये है कि अनिल और नरेंद्र की पत्नी रिश्ते में भाई-बहन लगते थे। लेकिन शादी के बाद भी दोनों एक दूसरे को भूल नहीं सके। अनिल को लगता था कि नरेंद्र की मौत से उसकी मोहब्बत उसे मिल जाएगी, इसीलिए उसने भाड़े के दो हत्यारों की मदद से उसकी हत्या की साजिश रच डाली।

इस मामले में पुलिस नरेंद्र की पत्नी से भी पूछताछ कर रही है। फिलहाल पुलिस वारदात में शामिल दूसरे सुपारी किलर मलखान सिंह यादव की तलाश कर रही है।

First Published: Thursday, October 17, 2013, 23:29

comments powered by Disqus