Last Updated: Thursday, October 24, 2013, 00:27
क्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडियामुंबई अंडरवर्ल्ड में इन दिनों हलचल का माहौल है। मुंबई में फिर सुनाई पड़ने लगी है गैंगवार की आहट। तैयारी दोनों ओर से है। एक और है दाऊद का कुनबा तो दूसरी ओर चल रही है छोटा राजन की तैयारी।
दाऊद अपने भाइयों को मुंबई में स्थापित कर अंडरवर्ल्ड में दोबारा अपनी बादशाहत कायम करने की फिराक में है तो छोटा राजन का इरादा दाऊद के भाइयों के भारत में आने से पहले ही उसकी पूरी जमात को उखाड़ फेंकने का है। दाऊद ने अपने गुर्गों के लिए जारी किया है गोली की जगह बोली से काम निकालने का फरमान तो छोटा राजन दाऊद विरोधी गुटों को इकट्ठा करने की जुगत में जुटा हुआ है। मकसद सिर्फ एक है- दाऊद की बादशाहत को पूरी ताकत से टक्कर देना। साफ है कि एक बार फिर मुंबई में अंडरवर्ल्ड पर बादशाहत की जंग की तैयारी होने लगी है
और इस वर्चस्व की जंग में खून बह सकता है।
छोटा राजन आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। उसके सामने आज भी मुंबई अंडरवर्ल्ड में दाऊद को पूरी ताकत से टक्कर देने की चुनौती है। अपने भाइयों के जरिये दाऊद का इरादा अगर मुंबई में दोबारा पैर जमाने का है तो छोटा राजन पहले ही अपना कुनबा बटोर कर ताकत जुटा लेने की फिराक में है। जाहिर है फिर एक्टिव हो गया है छोटा राजन। इरादा अपने बिखर चुके कुनबे को फिर से जोड़ने का है ताकि अपने खांटी दुश्मन और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की कमजोर हो चुकी बादशाहत को जमने के पहले ही उखाड़ फेंका जा सके और इसलिए उसने शुरू कर दी है अपने कुनबे को फिर से मजबूत करने की कवायद।
जानकारों के मुताबिक छोटा राजन अपने पुराने साथियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश तो कर ही रहा है उसका इरादा दाऊद के विरोधियों को भी अपने कुनबे में शामिल कर लेने का है क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो वो आसानी से मुंबई अंड़रवर्ल्ड से दाऊद की धाक को खत्म करने में कामयाब हो जायेगा। बताया जा रहा है कि छोटा राजन की सबसे बड़ी परेशानी दाऊद की उस योजना से है जिसके तहत कहा जा रहा है कि वो अपने दो छोटे भाइयों मुस्तकीन और हुमायूं को वापस मुंबई भेजने की फिराक में है।
बताया जा रहा है कि इस खबर के फैलने के बाद से ही ये भी माना जाने लगा है कि भले ही मुस्तकीन और हुमायूं भारत में खुद कोई अवैध कारोबार न करें लेकिन उन्हें भारत में दाऊद के प्रतिनिधि के रूप में ही देखा जायेगा दाऊद ने इंटरनेशनल क्रिमिनल के रूप में अपनी नई पहचान जरूर बना ली है लेकिन सच ये भी है कि मुंबई में उसका खुद का कुनबा भी काफी बिखर गया है। ऐसे में अगर मुस्कीन और हुमायूं अंडरवर्ल्ड़ की नजर में दाऊद के प्रतिनिधि बन गये तो इससे भारत बिखर रही डी कंपनी एक बार फिर एकजुट हो सकती है।
जानकारों का कहना है कि दाऊद के भाइयों की वापसी को छोटा राजन अपने अस्तित्व के लिहाज से खतरनाक मान रहा है और उसको लग रहा है कि अगर उसने अभी ही अपने हाथ मजबूत नहीं किये तो आने वाले दिनों में मुंबई अंडरवर्ल्ड में उसकी पकड़ कमजोर हो जाएगी और उसका अस्तित्व खत्म हो जायेगा और इसी बात को ध्यान में रखते हुए छोटा राजन ने अभी से ही अपना हाथ मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है।
दाऊद को चुनौती देने की कूवत रखने वाले छोटा राजन की चमक पिछले कुछ समय से अंडरवर्ल्ड में फीकी पड़ी है, वहीं सरहद पार बैठे दाऊद की बादशाहत भी मुंबई अंडरवर्ल्ड में कमजोर हुई है.इसीलिए वो अब अपने कुनबे को मजबूत और महफूज करने में लगा हैऔर यही बात छोटा राजन के लिए खतरे की घंटी बन गई है एक तरफ अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम है, जो अपना कुनबा मजबूत करने और अपने भाइयों को सेटल करने के लिए अपने गुर्गों को गोली की बजाए बोली का इस्तेमाल करने का आदेश दे रहा है तो दूसरी तरफ है छोटा राजन जिसका उसूल है-
`जो मर गया वो खुदा का बंदा
जो पकड़ा गया वो पुलिस का`
इन उसूलों की वजह से ही छोटा राजन के कई लोग उससे दूर हो गए वहीं, दाऊद लगातार अपने परिवार और गैंग को जोड़ को रखने में कामय़ाब रहा है। दाऊद की यही कामयाबी अब छोटा राजन के लिए खतरे की घंटी बन गई है। दाऊद लगातार जांच एजेंसियों से बचता भाग रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि डी गैंग भी मुंबई में पहले की तरह मजबूत नहीं रहा। सूत्रों के मुताबिक इसी का फायदा उठाकर छोटा राजन खुद को मजबूत करना चाहता है और आने वाले खतरे से निबटने की तैयारी में जुटा है।
मुंबई अंडरवर्ल्ड में दोबारा पैठ बनाकर छोटा राजन एक तरफ तो दाऊद को मात देना चाहता है और दूसरी तरफ अपना वर्चस्व बढ़ाकर धमकी और वसूली के कारोबार को दोबारा खड़ा करना भी उसकी चाहत है। खबर है कि छोटा राजन ने मुंबई के होटल मालिकों, बिल्डरों और बार मालिकों के मोबाइल नंबरों की डायरी खंगालना शुरू कर दिया है। ताकि इन कारोबारियों को धमकी देकर मोटी रकम वसूली ही जा सके। मुंबई में कमजोर पड़ चुकी पकड़ को भी दोबारा मजबूत किया जा सके। वक्त की जरूरत कहें या मजबूरी कि कल तक जो छोटा राजन अपने गुर्गों के साथ रहने और ना रहने की खास परवाह नहीं करता था, वही आज चुन-चुनकर उन्हें अपने साथ जोड़ने में लगा है। जाहिर ताकत के बल पर चलने वाले अंडरवर्ल्ड में उसूल बदलते देर नहीं लगती।
कल तक जो छोटा राजन के खास थे वो अब या तो सलाखों के पीछे हैं या फिर उसका साथ छोड़ चुके हैं। एक वक्त वो था जब उसने डी कंपनी का खात्मा करने की कसम खाई थी, ये कसम तो पूरी नहीं हुई। हां दाऊद उसके लिए एक बार फिर बड़ी चुनौती जरूर बन गया है। बंटी पांडे, संतोष शेट्टी, भरत नेपाली, सुनील सावत्या, गुरु साटम और रवि पुजारी ये सभी मुंबई अंडरवर्ल्ड के वे खतरनाक मोहरे हैं जो कभी छोटा राजन के इशारे पर काम करते थे, लेकिन वक्त बदला तो छोटा राजन के ये गुर्गे एक-एक कर उससे दूर होते गए। इनमें से कोई अब सलाखों के पीछे हैं, किसी ने खुद ही छोटा राजन से दूरी बना ली है तो किसी की मौत हो गई।
जरायम की दुनिया के ये वो खतरनाक चेहरे हैं जिनके बल पर छोटा राजन अंडरवर्ल्ड में राज करता था। उसकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने दाऊद से बगावत कर उसके साम्राज्य को ही खत्म करने की कसम ली थी। लेकिन जिनके बल पर छोटा राजन दाऊद से लोहा लेता था आज वो छोटा राजन के साथ नहीं हैं। लेकिन जानकारों की मानें तो कमजोर पड़ने के बावजदू छोटा राजन एक बार फिर दाऊद को टक्कर देने को तैयार है। जाहिर है छोटा राजन की इस तैयारी का असर सबसे ज्यादा दाऊद के नए मास्टर प्लान पर ही पड़ेगा जिसके तहत दाऊद अपने दो छोटे भाइयों को मुंबई में सेटल करने की तैयारी कर रहा है।
अंडरवर्ल्ड में राज करने का एक ही उसूल है और वो है ताकत और इसी ताकत के बल पर अंडरवर्ल्ड पर चलता है डॉन का साम्राज्य और जब कोई इस साम्राज्य को चुनौती देता है तो अंडरवर्ल्ड में छिड़ जाता है गैंगवार। माना जा रहा है कि अगर छोटा राजन ने अपना कुनबा जोड़ लिया तो ये बात न केवल दाऊद के एक्शन प्लान पर असर डालेगी बल्कि वर्चस्व जमाने की कोशिश में मुंबई में दोनों गुटों के बीच एक बार फिर गैंगवार छिड़ सकता है।
First Published: Thursday, October 24, 2013, 00:27