Last Updated: Friday, March 14, 2014, 18:02
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : आयुष्मान खुराना और सोनम कपूर की फिल्म `बेवकूफियां` ने शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर दस्तक दी। नूपुर अस्थाना द्वारा निर्देशित यह फिल्म प्रेम के ताने-बाने में बुनी गई है। आज के आधुनिक एवं तकनीकी दौर में नौकरीपेशा युवा प्रेमियों को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, उसे इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है।
फिल्म की कहानी आर्थिक मंदी, क्रेडिट कार्ड और पैसों को लेकर बदलते समीकरण के इर्दगिर्द बुनी गई है। फिल्म जिस तरीके से शुरू होती है और एक अच्छी फिल्म की संभावना बनती हैं, वो फिल्म के खत्म होने के पहले ही दम तोड़ देती हैं। अच्छी बात यह है कि पूरा ड्रामा हल्का-फुल्का रखा गया है और कहानी में दम नहीं होने के बावजूद हास्य का स्तर फिल्म में रुचि बनाए रखता है।
मोहित (आयुष्मान खुराना) और मायरा (सोनम कपूर) आज के नौकरीपेशा युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। मोहित की सेलरी समय के हिसाब से ठीक ठाक है लेकिन मायरा के पिता (ऋषि) कपूर जो कि आईएएएस अधिकारी है, उन्हें मोहित पसंद नहीं है। मायरा के पिता चाहते हैं उनकी बेटी किसी करोड़पति व्यक्ति से करे।
इसी बीच आर्थिक मंदी के कारण मोहित की नौकरी चली जाती है। मोहित और मायरा यह बात पिता सहगल से छिपाते हैं। मोहित तीन महीने बेकार बैठा रहता है और पैसों की कमी से जूझता है। इसका असर मायरा के साथ उसके रिश्तों पर भी होता है और दोनों में ब्रेक अप हो जाता है। दूसरी ओर मायरा के पिता शादी के लिए राजी हो जाते हैं। कैसे स्थिति सुलझती है, यह फिल्म में ड्रामेटिक तरीके से दिखाया गया है।
`बेवकूफियां` में आज के युवाओं की सोच और उनके लाइफस्टाइल को अच्छी तरह पर्दे पर उतारा गया है। आज की नौजवान पीढ़ी किस तरह प्यार करती है, किस तरह जिंदगी का लुत्फ उठाती है और किस तरह अपने शौक पूरे करती है। साथ ही फिल्म में यह भी बताया गया है कि जब किसी की नौकरी चली जाती है तो उसे दूसरी नौकरी ढूंढने में किस तरह की दिक्कत पेश आती हैं, किस तरह उसके रिश्तों में दरारें आती हैं, और किस तरह पैसों की तंगी किसी भी इंसान का लाइफस्टाइल बदल डालती है।
फिल्म में सोनम का अभिनय औसत है। उनका बिकनी और किसिंग दृश्य चर्चा के विषय है। फिल्म कई जगह कमजोर साबित होती है। जबकि `विकी डोनर` से मशहूर हुए आयुष्मान और सोनम के बीच केमेस्ट्री जम नहीं पाई है या कहें कि दोनों कलाकार अपना प्रभाव नहीं जमा पाए हैं। कुल मिलाकर यही कहना है कि `बेवकूफियां` एक टिपिकल प्रेम कहानी है और इसे एक बार देखा जा सकता है।
First Published: Friday, March 14, 2014, 18:02