Last Updated: Friday, April 11, 2014, 16:57
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : निर्देशक नितेश तिवारी की फिल्म `भूतनाथ रिटर्न्स` शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर अवतरित हुई। नीतेश ने सही समय पर अपनी यह फिल्म रिलीज की है। देश में राजनीतिक बदलाव की लहर तेज है और यह फिल्म भी राजनीतिक बदलाव की आवाज बुलंद करने के साथ लोगों से मतदान करने की अपील करती है।
`भूतनाथ रिटर्न्स` फिल्म `भूतनाथ` की अगली कड़ी है, यह फिल्म वहीं से शुरू होती है जहां `भूतनाथ` खत्म हुई थी। मोक्ष पाने के बाद भूतनाथ जब अपनी दुनिया में पहुंचते हैं तो उनका मज़ाक उड़ाया जाता है कि वह किसी को डराने में कामयाब नहीं हुए इसलिए भूतनाथ दोबारा दुनिया में आते हैं, ताकि बच्चों को डरा सकें, और उतरते हैं मुंबई की सबसे बड़े झुग्गी-झोंपड़ी वाले इलाके धारावी में वैसे, इस बार भी वह डराने में भले ही नाकाम रहे, लेकिन उन्होंने एक बच्चे के साथ मिलकर बुराई के खिलाफ जंग लड़ी, और चुनाव में किस्मत आजमाई।
भूतनाथ एक कॉमेडी फिल्म है, जो मजाक-मजाक में बहुत कुछ कह देती है। `भूतनाथ रिटर्न्स` राजनीति की बुराइयों को उजागर करती है। भ्रष्टाचार किस तरह से देश को खोखला कर रहा है, इसे भी बड़े अच्छे ढंग से दिखाया गया है। व्यवस्था किस तरह से लचर और भ्रष्ट हो गई है, फिल्म उस पर सवाल खड़ी करती है।
`भूतनाथ रिटर्न्स` के संवाद काफी अच्छे हैं। अमिताभ बच्चन और बोमन ईरानी ने अपनी भूमिकाएं अच्छी तरह से निभाई हैं। जबकि पार्थ भालेराव ने `अखरोट` नामक बच्चे की भूमिका बेहतरीन तरीके से की है। निर्देशक नितेश तिवारी ने कहानी को सुंदरता से रुपहले पर्दे पर उतारा है।
फिल्म का फर्स्ट हाफ खासतौर से अच्छा और कॉमेडी से भरा है, लेकिन सेकंड हाफ में फिल्म कुछ सीरियस हो गई, इसीलिए फिल्म थोड़ी लंबी भी लगने लगती है। हालांकि फिल्म ने अपनी पकड़ नहीं छोड़ी, मगर पहले हिस्से की तरह दूसरे हिस्से की कहानी को भी थोड़े और हल्के-फुल्के अंदाज में कहा जाता, तो शायद फिल्म ज्यादा मनोरंजक होती।
कुल मिलाकर `भूतनाथ रिटर्न्स` न सिर्फ मनोरंजक है, बल्कि चुनाव के इस माहौल में दर्शकों को संदेश भी देती है कि वे वोट जरूर दें दें, क्योंकि वोट ही आपकी आवाज है।
First Published: Friday, April 11, 2014, 16:57